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जम्मू कश्मीर के डोडा में तनावपूर्ण हालात, निषेधाज्ञा लागू और इंटरनेट सेवाएं निलंबित

Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर में कड़े जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक की गिरफ्तारी को लेकर प्रदर्शनकारियों व सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़पों और 80 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेने के बाद गुरूवार को डोडा जिले और आसपास के इलाकों में तनाव व्याप्त हो गया। डोडा जिले में गुरूवार को लगातार तीसरे दिन निषेधाज्ञा लागू रही, जहां एहतियात के तौर पर मोबाइल इंटरनेट और वाईफाई सेवाएं निलंबित रहीं।

प्रशासन ने सोमवार को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू कर बिना पूर्व अनुमति के लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया। अधिकारियों ने बताया कि रात भर स्थिति शांत रही और किसी नए विरोध प्रदर्शन की सूचना नहीं मिली। उन्होंने बताया कि सुरक्षाकर्मी सतर्कता बरत रहे हैं। कथित प्रशासनिक मनमानी को लेकर तनाव के बीच डोडा शहर, भद्रवाह, गंडोह और थाथरी के आसपास भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सरकारी कार्यालयों के पास कांटेदार तार लगाए गए हैं। पुलिस वाहनों ने क्षेत्र में गश्त की और निवासियों से घरों के अंदर रहने की अपील की।

पुलिस ने गुरूवार को एएपी के डोडा से विधायक मेहराज मलिक की हिरासत के खिलाफ निकाले गए विरोध मार्च को विफल कर दिया और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह समेत पार्टी सदस्यों को सर्किट हाउस से बाहर नहीं जाने दिया। संजय सिंह अन्य ‘एएपी’ सदस्यों के साथ बुधवार को श्रीनगर पहुंचे और प्रेस एन्क्लेव में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने और धरना देने वाले थे। एएपी सदस्य शहर के सोनवार इलाके में सर्किट हाउस में ठहरे हुए हैं। हालांकि, सर्किट हाउस के बाहर पुलिस की एक टुकड़ी तैनात कर दी गई थी और उसके गेट बंद कर दिए गए थे।

जब संजय सिंह और पार्टी के अन्य सदस्यों ने सर्किट हाउस से बाहर निकलने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें बाहर नहीं जाने दिया। एक वीडियो संदेश में संजय सिंह ने पुलिस कार्रवाई को ‘‘तानाशाही’’ बताया। अधिकारियों ने बताया कि 2024 के विधानसभा चुनाव में डोडा सीट से 4,500 से ज़्यादा वोटों से जीतने वाले मलिक को सोमवार को सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने के आरोप में जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उन्हें कठुआ जिला जेल में रखा गया।

ये पहली बार है जब जम्मू कश्मीर में किसी मौजूदा विधायक को इस कड़े कानून के तहत हिरासत में लिया गया है। इस कानून के तहत कुछ मामलों में बिना किसी आरोप या सुनवाई के दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को प्रतिबंधों का उल्लंघन करने की कोशिश की जिसके कारण सुरक्षाकर्मियों ने तीन जगहों पर लाठीचार्ज किया।

झड़पों के दौरान महिलाओं समेत कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और कुछ को बाद में रिहा कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि बुधवार से 80 लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया है, जिनमें से पांच महिलाओं समेत 21 लोगों को भद्रवाह और अन्य को किश्तवाड़ भेजा गया है। कई बंदियों को आज रात रिहा किए जाने की उम्मीद है। मुख्य शिक्षा अधिकारी के आदेश के अनुसार, जिले के सभी स्कूल और सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान रविवार तक बंद रहेंगे। जिला प्रशासन ने मलिक की हिरासत के बाद की अशांत स्थिति का हवाला देते हुए उन्हें सरकार का आलोचक बताया।

उनकी गिरफ्तारी सोशल मीडिया पर ‘‘भड़काऊ भाषणों और अपमानजनक भाषा’’ का इस्तेमाल करने के आधार पर की गई थी, जिसका कथित तौर पर सार्वजनिक शांति भंग करने का इरादा था। मलिक के पिता शमास दीन मलिक ने अपने बेटे की रिहाई की अपील करते हुए कहा कि वह अब इस मामले को अदालतों में नहीं ले जाना चाहते। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपना बेटा वापस चाहिए। मैंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की, जिन्होंने कहा कि वह देखेंगे कि क्या किया जा सकता है।’’ ‘एएपी’ ने केंद्र पर पार्टी को राजनीतिक रूप से निशाना बनाने का आरोप लगाया है।

जम्मू में विरोध प्रदर्शन में ‘एएपी’ सांसद संजय सिंह ने गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि पार्टी ‘‘सड़कों पर, संसद में और ज़रूरत पड़ने पर उच्चतम न्यायालय में’’ अन्याय के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेगी। इस हफ्ते की शुरुआत में हुई झड़पों के दौरान एक पुलिस उपाधीक्षक और एक स्टेशन हाउस अधिकारी सहित आठ पुलिसकर्मी कथित तौर पर घायल हो गए थे।