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महाराष्ट्र पहुंचा मानसून, मुंबई में हुई झमाझम बारिश

दक्षिण-पश्चिम मानसून के महाराष्ट्र में पहुंचने पर सोमवार सुबह मुंबई में बारिश हुई। मौसम विभाग ने बताया कि राज्य में 35 वर्षों में पहली बार इतनी जल्दी मानसून का आगमन हुआ है। मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि अगले तीन दिनों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के मुंबई और कुछ अन्य भागों तक पहुंचने की उम्मीद है। आईएमडी की वैज्ञानिक सुषमा नायर ने बताया कि 1990 में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 20 मई को महाराष्ट्र में दस्तक दी थी।आईएमडी ने बताया कि मानसून रविवार को अरब सागर के कुछ और हिस्सों, कर्नाटक, पूरे गोवा, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, उत्तरी बंगाल की खाड़ी, और मिजोरम के कुछ हिस्सों, मणिपुर और नगालैंड के कुछ हिस्सों तक पहुंच गया।

इसमें कहा गया कि मानसून की मौजूदा उत्तरी सीमा देवगढ़, बेलगावी, कावेरी, मांड्या, धर्मपुरी, चेन्नई, आइजोल और कोहिमा से होकर गुजरती है।आईएमडी ने कहा, ‘‘मानसून के मध्य अरब सागर के कुछ और हिस्सों, मुंबई सहित महाराष्ट्र के कुछ और हिस्सों, बेंगलुरु सहित कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों, तमिलनाडु के शेष हिस्सों, पश्चिम-मध्य और उत्तरी बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों और अगले तीन दिनों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।’’

दक्षिण-पश्चिम मानसून ने शनिवार को केरल में दस्तक दी थी। वर्ष 2009 के बाद से राज्य में इसका सबसे जल्दी आगमन है। 2009 में यह 23 मई को दक्षिणी राज्य केरल में पहुंचा था। सामान्य तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून एक जून तक केरल में दस्तक देता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंच जाता है। मानसून 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू कर देता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस लौट जाता है।

ये आमतौर पर सात जून के आसपास महाराष्ट्र और 11 जून को मुंबई पहुंचता है। मौसम विशेषज्ञ और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम. राजीवन ने कहा कि शुरुआती चरण में बड़े इलाके में मानसून फैलना असामान्य नहीं है। राजीवन ने कहा, "1971 में भी मानसून ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के बड़े हिस्सों को पहले दिन ही कवर किया था. इस बार भी सक्रिय मानसून की स्थिति दो जून तक बनी रह सकती है, जिससे ये महाराष्ट्र और पूर्वी भारत में आगे बढ़ेगा।