महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में आदिवासी किसानों का एक समुदाय कोलामी भाषा बोलता है। इस भाषा पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। कोलम आदिवासी बताते हैं कि अभ्यास के कम मौके, पढ़ाई-लिखाई के साधनों की कमी, शहरों में पलायन और गरीबी इसकी मुख्य वजह हैं।
कोलम आदिवासी सरकार से अपनी भाषा को संरक्षित करने की अपील कर रहे है। इसे स्कूलों में पढ़ाने और आधिकारिक कार्यक्रमों में शामिल करने की वकालत कर रहे हैं। कोलम समुदाय अपनी संस्कृति और विरासत पर खतरा महसूस कर रहा है। लिहाजा आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी भाषा को महफूज रखने के लिए सरकार से फौरन कार्रवाई करने की अपील कर रहा है।