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उत्तराखंड पुलिस ने धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया, पाकिस्तान से जुड़े कथित नेटवर्क से लड़कियों को बचाया

Uttarakhand: उत्तराखंड पुलिस ने कथित अंतरराष्ट्रीय संबंध रखने वाले एक धर्मांतरण रैकेट पर कार्रवाई करते हुए 'ऑपरेशन कालनेमि' नाम अभियान के तहत कई लड़कियों को बचाया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस नेटवर्क के तार भारत से बाहर भी फैले हुए हैं, जिनमें पाकिस्तान से भी संभावित संबंध शामिल हैं। ये मामला सबसे पहले तब सामने  आया जब मरियम नाम की एक लड़की के माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराई। 

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने बताया कि एफआईआर में शुरुआत में पांच लोगों के नाम थे। दूसरी शिकायत में छह और नाम सामने आए, जिनमें से कुछ पहले मामले से मिलते थे। पुलिस के मुताबिक, ये नेटवर्क सोशल मीडिया के जरिए कमजोर लड़कियों को निशाना बनाकर, उन्हें वैचारिक प्रभाव से प्रभावित करके और उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए उकसाने का काम करता था। 

उन्होंने बताया कि सुमैया नाम की एक लड़की कथित तौर पर तीन बार दिल्ली आई थी। इन यात्राओं के दौरान उसे विदेश भेजने के लिए कथित तौर पर एक फर्जी आधार कार्ड बनाया गया था। एसएसपी सिंह ने बताया कि ये नेटवर्क सिर्फ़ उत्तराखंड या उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है। 

उन्होंने कहा, "ये अभी जो इन्वेस्टिगेशन जब हमारे मुकदमा हुआ था तो इसमें पांच लोग के नाम आए थे, जो पहला केस लिखा गया था, जिसमें जो मरियम नाम की जो विक्टिम है, उसके पैरेंट्स के द्वारा और जो सेकेंड केस लिखा गया, उसमें भी छह नाम आए थे, जिसमें से कुछ लोग उसमें कॉमन थे। क्योंकि मैंने बताया कि धर्मांतरण का एक रैकेट है जो संगठित रूप से ऐसी लड़कियों को टारगेट करता है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से उनको प्रलोभन देकर उनका धर्मांतरण यहां पर नहीं हो पाया, चूंकि यूसीसी लागू होने के बाद सख्त धर्मांतरण कानून होने के बाद इनको बार-बार अन्य स्थानों पर खासकर दिल्ली बुलाया गया था, एक लड़की के द्वारा दूसरी विक्टिम है। सुमैया तीन बार वहां विजिट भी हुई इस्लाम धर्म कन्वर्ट करने के लिए साथ ही साथ उसका आधार कार्ड भी बनाया गया, जिससे उसको बाहर भेजा जा सके। तो देखा जाए कहीं न कहीं ये नेटवर्क सिर्फ उत्तराखंड या यूपी का न होकर कहीं न कहीं बाहर के देश से संचालित भी हो रहा है और साथ ही साथ फंडिंग भी हो रही है और अन्य प्रदेश में भी ऐसी लड़कियां चिन्हित हुई हैं जो इस्लामिक धर्म के नाम पर ऐसी लड़कियों को ट्रेप करने उसे कहीं न कहीं इस्लाम धर्म में कन्वर्जन करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।"

जांचकर्ताओं का मानना है कि इसका मकसद सिर्फ़ धर्म परिवर्तन ही नहीं था, बल्कि सीमा पार तस्करी की संभावना भी थी। संदिग्ध विदेशी संलिप्तता और जाली पहचान दस्तावेजों के इस्तेमाल को देखते हुए इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। इस मामले के प्रमुख संदिग्धों पर नज़र रखी जा रही है और आगे और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।