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बलात्कार पीड़िता की ‘टुकड़ों-टुकड़ों में’ हुई गवाही पर उच्चतम न्यायालय ने जताई नाराजगी

नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की एक निचली अदालत में बलात्कार पीड़िता की ‘टुकड़ों-टुकड़ों में’ हुई गवाही पर आपत्ति जताते हुए सवाल किया कि आखिर क्यों उसकी गवाही चार महीने तक स्थगित की गई।

न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि निचली अदालत और मामले में अभियोजन एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को इस संबंध में स्पष्टीकरण देना होगा।

पीठ को बताया गया कि कथित पीड़िता गवाह के रूप में कठघरे में पेश हो चुकी है और अपनी गवाही दर्ज करा रही है। निचली अदालत ने उससे आगे की पूछताछ के लिए 18 दिसंबर की तारीख तय की है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि एक बार गवाह, और खासकर जब पीड़िता खुद गवाही देने के लिए कटघरे में आ चुकी है तो यह पूछताछ टुकड़ों में क्यों की जा रही है? निचली अदालत को पीड़िता से आगे की पूछताछ चार महीने के लिए क्यों स्थगित करनी चाहिए? निचली अदालत को इस संबंध में स्पष्टीकरण देना चाहिए।’’

पीठ ने कहा कि आगे की जिरह के लिए समय देकर निचली अदालत ने अनजाने में आरोपी को अभियोजन पक्ष के गवाहों से छेड़छाड़ करने का मौका दिया है।

इसने कहा, ‘‘इसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह गंभीर चिंता का विषय है।’’

पीठ ने कहा कि यहां तक कि सीबीआई को भी स्पष्टीकरण देना होगा, खासकर इस मामले से जुड़े लोक अभियोजक को।

उच्चतम न्यायालय सीबीआई द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा पिछले साल सितंबर में इस मामले के एक आरोपी को जमानत दिए जाने के आदेश को चुनौती दी गई है।

भाषा प्रीति अविनाश

अविनाश