(रोसा शिचियानो-फान, वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय)
लंदन, 10 सितंबर (द कन्वरसेशन) मुझे अच्छी तरह याद है कि इमारतों को ठंडा रखने की तकनीकों पर 1990 के दशक के अंत में आयोजित एक सम्मेलन में आगाह किया गया था कि “30 साल बाद लंदन का मौसम आज के मार्सिले (फ्रांस) जैसा हो जाएगा।” यह चेतावनी मेरे जेहन में बस गई थी। उस समय, यह मुझे न सिर्फ चिंताजनक, बल्कि अप्रत्याशित रूप दिलचस्प भी लगी थी।
आज लगभग तीन दशक बाद यह चेतावनी महज अनुमान नहीं प्रतीत होती। लंदन में रहने वाले भूमध्यसागरीय मूल के एक व्यक्ति के रूप में मैंने इस बदलाव को महसूस किया है। जब मैंने ‘द आर्किटेक्चर ऑफ नेचुरल कूलिंग’ का सह-लेखन किया था, तब मैंने न केवल पेशेवर विशेषज्ञता का, बल्कि सफेद छतों-दीवारों, छायादार आंगन और बंद खिड़कियों के साये में कटे अपने बचपन की यादों का भी सहारा लिया था।
ये प्राचीन तकनीकें-जो कभी भूमध्य सागर के लिए उपयुक्त मानी जाती थीं-अब आधुनिक ब्रिटेन के लिए भी सबक के रूप में उभरी हैं, जहां लू का प्रकोप काफी आम होता जा रहा है।
किसी इमारत को ठंडा रखने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका उसका रंग बदलना है। सफेद सतहें सूर्य की किरणों को अवशोषित करने के बजाय उन्हें परावर्तित करती हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि कमरे की छत को सफेद रंग से रंगने या उस पर किसी अन्य तरह की परावर्तक परत चढ़ाने से अंदरूनी तापमान में एक से चार डिग्री सेल्सियस, जबकि आसपास के बाहरी तापमान में दो डिग्री सेल्सियस तक की कमी लाई जा सकती है।
हालांकि, इन उपायों की सफलता एक शर्त पर निर्भर करती है। हम गर्मी को कम अवशोषित करने वाली तकनीकों, फिर चाहे वो सफेद रंगाई-पुताई हो, शटर वाली खिड़कियां लगाना हो या हवादार कमरे बनाना हो, को एक साथ जितना ज्यादा अपनाएंगे, इनके प्रभावी ढंग से काम करने की संभावना उतनी अधिक बढ़ जाएगी।
मिसाल के तौर पर, सफेद छत कमरे को ठंडा रखने में तब अधिक प्रभावी साबित होती है, जब सबसे गर्म घंटों के दौरान खिड़कियां बंद रखी जाएं और धूप के असर से बचने के लिए उन पर शटर या फिर मोटे परदे लगाए जाएं।
अगर आप खिड़कियां बंद रखते हैं, तो कमरे की दीवारें और फर्श आपको ज्यादा सुकून देंगे, क्योंकि ये रात की हवा से ठंडक सोखते हैं और दिन में उसे बाहर छोड़ते हैं। यही एक वजह है कि भूमध्य सागर क्षेत्र के घर भीषण गर्मी में भी उतने ज्यादा नहीं तपते।
रात के समय का ‘वेंटिलेशन’ (वायु संचार व्यवस्था) भी अहम भूमिका निभाता है, कम से कम तब जब अंधेरा बढ़ने पर बाहर की हवा ठंडी हो जाती है। लंदन या मैनचेस्टर जैसे शहरों में, जहां शहरी द्विपीय ऊष्मा का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है, परावर्तक छतें अपनाना और एयर कंडीशनर (एसी) से निकलने वाली ऊष्मा से बचना और भी जरूरी हो जाता है।
------सर्दी के मौसम में असर------
लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि सफेद छत सर्दियों में उनके घर को ठंडा कर सकती है, लेकिन यह एक बहुत ही मामूली समस्या है। आपको अपने घर को कितना गर्म करने की जरूरत है, यह आपके घर के बाहरी आवरण की पहले से ही अंदर मौजूद गर्मी को बनाए रखने की क्षमता पर निर्भर करता है, न कि बाहर से आने वाली गर्मी को रोकने की उसकी क्षमता पर।
उत्तरी क्षेत्र की जलवायु की बात करें, तो वहां सर्दियों में अक्सर बादल छाए रहते हैं और सूर्य की किरणें सतह तक बहुत कम पहुंच पाती हैं। अगर आप अच्छी धूप वाली ठंडी जलवायु में गर्माहट के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो गहरे रंग की निर्माण सामग्री का सहारा लेने के बजाय, खिड़कियों से धूप को अंदर आने देना ज्यादा कारगर है।
------सस्ता और कारगर उपाय------
-घर को सफेद रंग से रंगवाना ज्यादा खर्चीला नहीं है, कम से कम उसे गर्म रखने के लिए किए जाने वाले अन्य उपायों में व्यय होने वाली रकम से तुलना करें तो। कई घर मालिक, खासकर ब्रिटेन के उपनगरीय इलाकों में, रंगाई-पुताई के लिए पहले से ही सफेद रंग का इस्तेमाल करने लगे हैं।
समतल या कम ढलान वाली छतों पर परावर्तक परतें अपेक्षाकृत कम लागत पर चढ़वाई जा सकती हैं। हालांकि, ढलान वाली छतों पर पेंट की परतें चढ़वाना संभव नहीं है, क्योंकि वे जल्दी ही घिस जाएंगी और भद्दी दिखने लगेंगी। ऐसी छतों पर नियमित रूप से पुताई करवाने की जरूरत पड़ेगी।
वहीं, खपरैल वाली छतों को धूप सोखने और नमी को बाहर निकलने देने की आवश्यकता होती है, लेकिन पुताई इस प्रक्रिया को अवरुद्ध कर सकती है, जिससे सीलन की समस्या पैदा हो सकती है। ऐसे में गहरे रंग की खपरैल की जगह अधिक परावर्तक मिट्टी की खपरैल लगवाना बेहतर विकल्प साबित हो सकता, जो छत की सतह के तापमान को कम कर देती हैं।
ग्लोबल वॉर्मिंग तेजी से बढ़ रही है और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है। फिर भी, कभी-कभी सबसे अच्छे समाधान हाई-टेक या महंगे नहीं होते।
छतों-दीवारों को सफेद रंग से रंगकर और कुछ अन्य सरल डिजाइन रणनीतियां अपनाकर घरों को ठंडा रखने, बिजली की खपत कम करने और जलवायु परिवर्तन से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिल सकती है।
(द कन्वरसेशन)
पारुल नरेश
नरेश