Kamakhya Temple: माता कामाख्या देवी मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। यह शक्तिपीठ तांत्रिक साधनाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आइए आज जानते है कामाख्या देवी का इतिहास...
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी थी, तब भगवान शिव ने माता सती का जला हुआ शरीर लेकर पूरे संसार में भ्रमण किया। तब स्थिति को संभालने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के अंग काटना शुरू किया और धरती पर जिन 52 जगह पर देवी सती के अंग गिरे, वहीं पर 52 शक्तिपीठों की स्थापना हुई। ऐसा माना जाता है कि नीलांचल पर्वत पर माता की योनि गिरी थी, जिसके कारण यहां कामाख्या देवी शक्तिपीठ की स्थापना हुई। यह बताया जाता है कि ये मंदिर 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है क्योंकि इन दिनों माता सती रजस्वला रहती हैं। इन 3 दिनों के दौरान पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते।
तांत्रिक साधनाओं के लिए जाना जाता है माता कामाख्या मंदिर, जानें कुछ रहस्यमयी बातें
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