बरेली: प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी-ग्रामीण 2.0 के अंतर्गत सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है हर व्यक्ति को सम्मानजनक आवास उपलब्ध कराना। इसी उद्देश्य को जमीन पर उतारने के प्रयासों की समीक्षा के लिए बरेली में जिलाधिकारी अविनाश सिंह की अध्यक्षता में एक अहम बैठक संपन्न हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने उस चिंता को खुलकर रखा जो योजना के क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं से जुड़ी है। अपात्र आवेदनों की संख्या अधिक होने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और संबंधित उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि ऐसे मामलों में भौतिक सत्यापन दोबारा कराया जाए। सरकार की मंशा है कि प्रत्येक नागरिक के सिर पर छत हो। अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि कोई पात्र व्यक्ति योजना से वंचित न रहे।
बैठक में एक उल्लेखनीय पहल यह रही कि मुख्य विकास अधिकारी जग प्रवेश ने एआई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सर्वेक्षण प्रक्रिया की जानकारी साझा की। यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा बदलाव है, जिससे फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा और योजना वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचेगी। जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि ऑनलाइन फीडिंग प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए अतिरिक्त कंप्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति की जाए। इससे योजना के अंतर्गत लाभार्थियों की पुष्टि शीघ्र हो सकेगी और आवंटन की प्रक्रिया तेज़ होगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ-साथ मनरेगा के अंतर्गत चल रहे कार्यों की भी समीक्षा की गई। जिलाधिकारी ने योजनाओं का स्थलीय सत्यापन सुनिश्चित कराने पर बल दिया।
इसके अलावा, मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए पट्टों के शीघ्र आवंटन हेतु विशेष शिविरों के आयोजन के निर्देश भी दिए गए। इस बैठक ने यह साफ संकेत दिया कि जिला प्रशासन अब योजनाओं के क्रियान्वयन में कोई ढिलाई नहीं बरतना चाहता। समीक्षा से यह संदेश भी निकला कि केवल आंकड़ों की खानापूर्ति नहीं, बल्कि जमीनी बदलाव ही प्राथमिकता में है। प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कार्यक्रम तब ही सार्थक हो सकते हैं जब जमीनी स्तर पर इसकी निगरानी, निष्पक्षता और संवेदनशीलता बनी रहे। बरेली प्रशासन की यह पहल न केवल जिले के आवासीय मानचित्र को बदलेगी, बल्कि जन-कल्याण आधारित शासन की नई मिसाल भी पेश करेगी।