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बेटी के वापस पाकिस्तान वापस न लौटने पर छलका मां का दर्द, बोली- इस हमले से बिखर गया बच्ची का परिवार

पाकिस्तान में हमारी 50 साल पुरानी रिश्तेदारी है। मेरी अपने 2 नन्दें उधर कराची में हैं। यही सोचकर बेटी की शादी पाकिस्तान में कर दी थी कि रिश्तेदारी है सब ठीक रहेगा। लेकिन हमने कोई गुनाह थोड़े किया। जो अब हम परेशानी उठा रहे हैं। सरकार ने जो आदेश दिया है उसके मुताबिक हमारी बेटी भारत मे रहे और उसके दुंधमुंहे बच्चे पाकिस्तान लौट जाएं, ये कैसे मुनासिब है। हमारा पूरा परिवार पिछले 4 दिनों से परेशान है। बेटी उसके बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है.. हम बस यही चाहते हैं कि हमारी बेटी सना अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान अपने ससुराल वापस लौट जाए। सरकार से हमारी गुजारिश है कि बेटी को उसके परिवार के पास जाने दिया जाए ताकि वो अपने घर में रहे।

आपको बता दें मेरठ की सना को अटारी बॉर्डर से वापस लौटा दिया गया क्योंकि सना के पास पाकिस्तानी नागरिकता नहीं है, लेकिन उसके दोनों बच्चे 45 दिन के वीजा पर भारत अपनी नानी के घर घूमने आए थे। 
सरकार के नए फरमान के मुताबिक सना पाकिस्तान नहीं जा सकती उसके बच्चे भारत में नहीं रुक सकते। मां के बिना बच्चे कैसे रह पाएंगे इसी कशमकश में सना उसका परिवार परेशान है। अब सना का परिवार क्या चाहता है।

पढ़िए नेटवर्क 10 न्यूज़ ग्राउंड रिपोर्ट
जहां मेरठ शहर से लगभग 30 किमी दूर सरधना ब्लॉक के घोसियान मोहल्ले में सना का मकान है। हम सना के घर पहुंचे। इस मकान में सना का मायका है। यहां सना के पिता पीरुद्दीन, मां जुबैदा, 2 भाई, भाभियां, उनके बच्चे और चाचा का पूरा परिवार रहता है। यहां हमें सना की अम्मी, भाभी मिली साथ ही कुछ पड़ोसी भी मिले।घरवालों ने बताया सना 14 अप्रैल को कराची से मेरठ अपने मायके अम्मी-अब्बू से मिलने आई थी। 2020 में सना का निकाह उसके फूफो के बेटे डॉ. बिलाल से पाकिस्तान कराची में हुआ। डॉ. बिलाल कराची में होम्योपेथ डॉक्टर हैं। शादी के बाद 5 सालों में सना ये दूसरी बार मायके आ सकी। वीजा की लंबी प्रक्रिया के कारण वो ढाई साल बाद अब मायके आई थी। अभी परिवार में एक शादी थी उसे अटैंड करने के लिए सना आई थी।

पाकिस्तानी नागरिकता नही होने के कारण परेशानी 
सना ने बताया कि शादी के 9 साल बाद उसे पाकिस्तानी नागरिकता मिलेगी। अभी उसके पास हिंदुस्तानी नागरिकता है। शादी को 5 साल हुए हैं इसलिए नागरिकता मिलने में 4 साल और लगेंगे। जबकि उसके दोनों बच्चे 3 साल का बेटा और 1 साल की बेटी दोनों कराची में पैदा हुए हैं। उनके पास पाकिस्तानी नागरिकता है। इन बच्चों का उसने 45 दिन का वीजा लिया है तब भारत आ सकी है। बच्चों के वीजा के कारण ही उसे मायके आने में ढाई साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। 

अब सबसे पहले सना की पूरी बात पढ़िए
नेटवर्क 10 न्यूज़ से बात करते हुए सना ने बताया कि जैसे ही पहलगाम में अटैक हुआ अचानक हमें पता चला कि पाकिस्तानी वीजा वालों को 2 दिन में भारत छोड़कर पाकिस्तान लौटना पड़ेगा। मेरे अम्मी, अब्बू, भाई सोफियान ने मुझे मेरे बच्चों को रातोंरात पाकिस्तान भेजने के लिए तैयारी कर ली। हमारे घर में शादी का माहौल है मैं लंबे समय बाद मायके आई अभी घर पर ठीक से रही भी नहीं थी कि मुझे वापस घर जाने की तैयारी करनी पड़ी। किसी तरह हम दूसरे दिन अमृतसर पहुंचे और अटारी बॉर्डर पर गए। वहां मेरे शौहर, ससुराल के सारे लोग हमें वापस लेने आए। लेकिन जैसे ही वहां आर्मी ऑफिसर ने मेरा कार्ड चैक किया तो कहा कि इन्हें रोक दो। इनको बॉर्डर पार पाकिस्तान नहीं भेज सकते क्योंकि इनके पास भारतीय नागिरकता है। कहा कि दोनों बच्चों को पाकिस्तान जाने दो क्योंकि वो पाकिस्तानी वीजा पर हैं। अब मैं अपने दो छोटे बच्चों को अकेले कैसे पाकिस्तान भेज सकती हूं। मेरी बेटी महज 1 साल की है वो बेबीफीडिंग करती है। मां के बिना दो मासूम बच्चे कैसे रहेंगे।
काफी देर बॉर्डर पर मेरे घरवालों की आर्मी आफिसर से बातचीत होती रही। उन्होंने कहा बच्चे पाकिस्तान जाएंगे आपको यहीं रुकना पड़ेगा। किसी तरह सीनियर ऑफिसर्स ने हमारी परेशानी को सुना और समझा। हमसे कहा ठीक है अभी आप मेरठ घर वापस लौट जाएं बच्चों को भी ले जाएं। आगे हम देखते हैं आपके लिए क्या कर सकते हैं। 

जिसके बाद सना आगे कहती हैं वहां बॉर्डर पर मेरा पूरा परिवार हमें लेने आया था। उन्होंने भी जब ये सुना वो सभी परेशान हो गए। वो हमसे मिल भी नहीं पाए, हम एक दूसरे की शक्ल भी नहीं देख सके। उन्हें वहां से खाली हाथ वापस कराची लौटना पड़ा। इधर हम लोगों को वापस मेरठ आना पड़ा। अब मेरी सरकार से गुजारिश है कि मुझे अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान जाने दिया जाए, अपने ससुराल सकुशल जाना चाहती हूं। क्योंकि ये कैसे पॉसिबल है कि दो छोटे बच्चे मां के बिना पाकिस्तान में रहें और मैं यहां भारत में रहूं। 
 
वही मां जुबैदा कहती हैं उसके छोटे बच्चों को वहां मां के बिना कैसे और किस जिम्मेदारी पर भेज दूं। हमें अचानक पता चला कि झगड़ा हो गया है और बेटी को 38 घंटों में पाकिस्तान भेजना है। हम तुरंत उसका वीजा लेने दिल्ली भागे। वीजा लेकर हम उसे बॉर्डर पर छोड़ने गए। बॉर्डर पर उन्होंने बेटी को जाने नहीं दिया कहा सना नहीं जा सकती उसके दोनों बच्चे जाएंगे। उसका दूध पीता बच्चा है वो मां के बिना कैसे रह सकते हैं। कहती हैं कि पाकिस्तान में मेरी नन्द का घर है अपना परिवार होने के कारण बेटी का निकाह वहां किया था। शादी करने के बाद तो ससुराल ही बेटी का घर है। हम उसे यहां कितने दिन रख सकते हैं। 50 साल पहले मेरी ननद की सरधना से पाकिस्तान में शादी हुई थी वहीं हमने बेटी की शादी कर दी। इसमें क्या गलत किया। कहती हैं कि मां, बाप से मिलने का मन तो बेटी का करता ही है इसमें उसका क्या गुनाह है? हम तो ये चाहते हैं कि वो अपने बच्चों संग घर लौट जाए। दुख तो बहुत है। पूरा परिवार इससे परेशान है समझ नहीं रहा कि क्या करें? अब मोबाइल पर ही दामाद से बात हो पाती है एक दूसरे को तसल्ली देते रहते हैं कि सब ठीक हो जाएगा जल्दी सना घर लौटेगी। कहती हैं बड़े बच्चे होते तो भेज देते, 1 साल की बच्ची को कराची में कैसे भेज दें। बच्चे भी पिता को बहुत याद करते हैं। 

घर में हमें सना के चाचा सिराजुद़दीन भी मिले। सिराजुद्दीन कहते हैं हमारी बेटी सही सलामत अपने बच्चों के साथ पाकिस्तान भेज दी जाए हम ये चाहते हैं। कहते हैं उन्हें बॉर्डर से वापस भेज दिया। कह दिया मां नहीं जा सकती लेकिन ये बच्चे पाकिस्तान भेजे जाएं। कहते हैं पहलगाम में जो हमला हुआ वो बहुत बुरा हुआ। ये अच्छा नहीं है। सरकार को इस पर डिसीजन लेना चाहिए। कहते हैं हम तो यहीं के रहने वाले हैं सरकार दोषियों को सजा दे।जो मैटर चल रहा है वो किसी के लिए अच्छा नहीं है। मेरी दो बहनें भी पाकिस्तान में शादी हुई हैं। किसी का भी बच्चा मां से अलग कैसे रह पाएंगे। या तो इन लोगों को यहां रहने की छूट दी जाए या फिर सलामती से वापस भेजें। कहते हैं हम सीमा हैदर के लिए कुछ नहीं कह सकते अपनी बेटी के लिए कह सकते हैं। हमारे दामाद भी यहां नहीं आ सकते पूरा परिवार बिखर गया। पहलगाम हमला किसने किया हम कुछ नहीं कह सकते,लेकिन जिन्होंने भी ये किया है उनको मार दिया जाए। उनको छोड़ा न जाए। 

सना के पड़ोसी साबिर ने कहा कि जहां बेटी का घर है उसकी शादी हुई है वहां उसको भेजा जाए। बच्ची उसका पूरा परिवार बहुत परेशान है उन्हें बॉर्डर से लौटा दिया गया। हमारी सरकार से अपील है कि वो अपने परिवार के बिना कैसे रह सकती है। हमारी गुजारिश है कि सरकार ऐसी सभी बेटियों के लिए कदम उठाए उन्हें उनके घर भेजे।

पूरा परिवार ही बिखर गया
पड़ोसी फूलबानो ने कहा कि बच्चा मां के बिना और बच्चा मां के बिना कैसे रह पाएगा। सरकार इन्हें वापस भेजे। हमने तो सना को बचपन से देखा है वो हमारे पड़ोसी हैं। बहुत अच्छा परिवार है सरकार को इन्हें भेजना चाहिए। ताकि परिवार एक साथ रह सके।