Uttar Pradesh: पीलीभीत के पीटीआर में एक बाघ के मुंह में बीन बैग दबाए तस्वीर सामने आई है। यह बैग वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर द्वारा इस्तेमाल होता है। वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के गैर जिम्मेदार रवैये के कारण बाघों के लिए खतरा बढ़ रहा है।पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पर्यटन का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन पर्यटन बढ़ने के साथ ही साथ लोगों को गैर जिम्मेदार रवैया भी देखने को मिल रहा है।
पीलीभीत जिला देश की सुप्रसिद्ध इको टूरिज्म डेस्टिनेशन में से एक है। वहीं बीते कुछ सालों में पीलीभीत के भारी भरकम बाघों के बलबूते पर्यटन का ग्राफ और अधिक तेजी से बढ़ा है। यही कारण है कि स्थानीय पर्यटकों के साथ ही साथ देश दुनिया के नामचीन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर भी पीलीभीत का रुख कर रहे हैं। लेकिन जिन बाघों के दम पर आज पर्यटक पीलीभीत खिंचे चले आ रहे हैं, पर्यटकों का गैर जिम्मेदार रवैया उन्हीं बाघों के लिए संकट खड़ा कर रहा है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के सफारी रूट से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसे देख कर हर कोई चिंतित हो रहा है। तस्वीर में प्रत्यक्ष रूप से तो कोई ख़तरा नज़र नहीं आ रहा लेकिन ग़ैर ज़िम्मेदारी ज़रूर झलक रही है। फोटो में एक बाघ अपने मुंह में एक बीन बैग दबाए नजर आ रहा है। दरअसल इस बैग को अक्सर वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर इस्तेमाल करते हैं। यह बैग कैमरा में लगे बड़े लेंस को स्थिर रखता है। बड़ा प्रश्न है कि ख़ुद को वन्यजीव प्रेमी बताने वाले फोटोग्राफर इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकते हैं। वहीं अगर यह बैग भूलवश सफारी वाहन से नीचे गिरा था तो इसकी सूचना वन विभाग को क्यों नहीं दी गई?
वरिष्ठ वनजीवन पत्रकार केशव अग्रवाल बताते हैं कि किसी भी अभ्यारण में पर्यटन साधारण पर्यटन से इतर होता है। इसके लिए सभी को अपनी अपनी ज़िम्मेदारी तय करनी चाहिए। बाघ के जबड़े में नजर आ रहा उपकरण जिस किसी का भी है उसके गैर जिम्मेदार रवैये पर सख्त एक्शन लेना चाहिए। अगर किसी से भूलवश या फिर अचानक यह गलती हुई भी थी उसे तुरंत वन विभाग को सूचित करना चाहिए था।
पीलीभीत टाईगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया की मामला संज्ञान मे आया है। वन विभाग इस घटना की जांच कर रहा है। वन्यजीवों की सुरक्षा को देखते हुए इस तरह की लापरवाही करने वालों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की जा रही।