पेरिस के पैरा ओलंपिक में मेरठ की बेटी प्रीति पाल ने ट्रैक इवेंट में कांस्य पदक जीत कर मेरठ में चल रहा ओलंपिक पदक का सूखा खत्म कर दिया। हाल ही में आयोजित ओलंपिक में मेरठ की तीन खिलाड़ी पारूल चौधरी, प्रियंका गोस्वामी और अनु रानी ने हिस्सा लिया, लेकिन तीनों ही खिलाड़ी पदक जीतने में नाकामयाब रही।
आपको प्रीतिबता दे मूल रूप से मुजफ्फरनगर जिले की रहने वाली है लेकिन अब उनके परिजन मेरठ में रहते हैं। प्रीति की जीत के बाद गंगानगर में उनके परिवार में जश्न का माहौल है और उनके पैतृक गांव मुजफ्फरनगर के रामराज में भी खुशी का माहौल है। परिजनों ने मिठाइयां बांट कर खुशियां बनाई। परिजनों का कहना है कि बेटी ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
जहां मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। प्रीति पाल के परिजनों ने बताया कि बचपन से ही प्रीति के पैर कमजोर थे लेकिन हौसला मजबूत था। बेटी पिछले 8 साल से कैलाश प्रकाश स्टेडियम से तैयारी कर रही थी।
वहीं प्रीति ने खेलों की प्रति लगाओ का कभी विरोध परजनों ने नहीं किया प्रीति के दादा ऋषिपाल सिंह लोक निर्माण विभाग में थे। दादा-दादी के पास रहकर प्रीति ने अपनी शिक्षा और खेल जारी रखा। कच्ची मिट्टी के मैदान पर अभ्यास कर कड़ी मेहनत के बलबूते उसने एशियन गेम, विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियन और पेरिस पैरालंपिक तक का सफर तय किया अब पदक जीतकर उसने इतिहास रच दिया है।
दरअसल प्रीति की मुलाकात एक पैरालंपिक फातिमा खातून से हुई थी प्रीति की बहन नेहा ने बताया कि प्रीति की सफलता में सबसे बड़ा योगदान पैरा खिलाड़ी फातिमा खातून और कोच गजेंद्र सिंह का है फातिमा खातून ने मुश्किल में के समय में प्रीति का साथ दिया और कोच प्रीति के खेल को निखारा।