कलयुग में दो बेटे अपनी मां को कंधे पर बिठाकर हरिद्वार से करनाल ले जा रहे है। इस अद्वितीय और पवित्र यात्रा में उन्होंने कंधे पर कावड़ उठाई हुई है, जिसमें एक तरफ गंगा जल है और दूसरी तरफ उनकी मां बैठी है। यह दृश्य सभी के लिए प्रेरणादायक है। क्योंकि इसमें मां के प्रति उनके असीम प्रेम, सम्मान और समर्पण की झलक देखने को मिल रही है।
यह यात्रा लगभग 200 किलोमीटर की है, जो हरिद्वार से करनाल तक फैली हुई है। रास्ते में कई श्रद्धालु और यात्री इस अद्वितीय यात्रा को देखकर चकित और प्रेरित हुए। दोनों बेटों ने अपनी मां की उम्र और कमजोरी का ध्यान रखते हुए उन्हें कंधे पर बिठाने का निर्णय लिया है। यह उनके धार्मिक और पारिवारिक कर्तव्य का मिलाजुला स्वरूप है।