शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को होता है. चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरुप मां कूष्मांडा की पूजा करते हैं. वह चौथी नवदुर्गा कहलाती हैं. 8 भुजाओं वाली मां कूष्मांडा शेर पर सवार होती हैं. उनके हाथों में गदा, चक्र, धनुष, बाण, माला, अमृत कलश, कमल पुष्प होते हैं. ये देवी साहस और अद्भुत शक्ति का प्रतीक हैं. उनके अंदर इस पूरी सृष्टि के सृजन की क्षमता है. कूष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ा होता है. इसमें अनेकों बीज होते हैं, जिसमें एक नए पौधे के सृजन की शक्ति होती है. देवी कूष्मांडा भी सृजन की देवी हैं.
सनातन धर्म में नवरात्रि पर शक्ति की साधना का बहुत अधिक महत्व होता है। आज के दिन मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, दुर्गा मां के इस रूप की आराधना करने से देवी आशीष प्रदान करती हैं और सभी दुखों का नाश होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कूष्माण्डा की मुस्कान की एक झलक ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया। इन्हें अष्टभुजा देवी के रूप में भी जाना जाता है।