इजराइल के वेइज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के एक अध्ययन के मुताबिक चींटियों में सामूहिक फैसले लेने की क्षमता इंसानों से बेहतर होती है। अध्ययन के दौरान जब चींटियों के एक समूह को टेढ़े-मेढ़े रास्तों से भारी भार को निकालने का काम सौंपा गया तो उन्होंने इंसानों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। उनकी रणनीति ज्यादा अच्छी और सामूहिक याद्दाशत बेहतर दिखी। इससे उन्हें टिके रहने और गलतियों से बचने में मदद मिली। शोधकर्ताओं के अनुसार इसके उलट समूह में काम करते वक्त इंसान अपने प्रदर्शन में खास सुधार करने में नाकाम रहे।
चींटियों और इंसानों के बर्ताव पर अध्ययन के लिए भटकाने वाले रास्तों के दो सेट बनाए गए, जो सिर्फ आकार में अलग थे। चींटियों ने तीन संयोजनों में इस चुनौती का सामना किया। पहले में एक अकेली चींटी थी। दूसरे में सात चींटियों का समूह था और तीसरे में 80 चींटियों का समूह था। वहीं इंसानों की बात करें तो पहले में एक अकेले शख्स ने, दूसरे में छह से नौ लोगों के समूह ने और तीसरे में 26 लोगों के समूह ने इसे मिलकर किया।
सटीक अध्ययन के लिए इंसानों को बोलने या इशारे से संवाद करने से बचने को कहा गया था। उन्हें मुंह और आंखें छुपाने के लिए मास्क और धूप का चश्मा दिया गया। अध्ययन में पाया गया कि चींटियों ने समझ-बूझकर और रणनैतिक तरीके से एक साथ काम किया और सामूहिक याद्दाशत का प्रदर्शन किया जिससे उन्हें खास दिशा में चलने और बार-बार होने वाली गलतियों से बचने में मदद मिली।
अध्ययन के नतीजे "भीड़ की बुद्धिमत्ता" की धारणा को चुनौती देते हैं और "सुपर-जीवों" के रूप में चींटी बस्तियों की कार्यकुशलता पर जोर देते हैं। इन जानकारियों से इंसानों के बीच टीम वर्क और संगठनात्मक व्यवहार से जुड़ी ज्यादा बातें जानने में मदद मिलने की संभावना है।
इंसानों की तुलना में चींटियों में सामूहिक फैसले लेने की क्षमता अच्छी होती है
You may also like
सर्दियों में गीजर न बन जाए 'साइलेंट किलर', ये छोटी गलतियां बढ़ा रही करंट से हादसों का खतरा.
पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहा पश्चिम बंगाल का ये गांव, सरकार से लगाई मदद की गुहार.
इस फल को Flight और Train में ले जाना है गुनाह! जानिए इस साधारण फल के पीछे छिपा बड़ा कारण.
Punjab: मोगा में नरक जैसे हालात, ग्रामीणों ने नल से गंदा और बदबूदार पानी आने का लगाया आरोप.