भारत-चीन के खट्टे-मीठे रिश्ते अक्सर सुर्खियां बनते हैं, चाहे व्यापार हो, आपसी सहयोग के मामले हों या सरहद से जुड़े मसले। इस माहौल में उत्तराखंड में कई छात्रों का चीनी भाषा सीखना आश्चर्य की बात लगती है। कुछ साल पहले दून विश्वविद्यालय ने सरकारी स्कूलों में छात्रों को चीन की मंदारिन भाषा सिखाने की शुरुआत की थी। हालांकि ये कदम असामान्य था। इस पहल का मकसद छात्रों के लिए वैश्विक स्तर पर करियर विकल्प खोलना था।
इस पहल के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को भी जोड़ा गया। फिलहाल 11 सरकारी स्कूलों में छात्र चीन की भाषा सीख रहे हैं। इनमें पौड़ी गढ़वाल के पीएम श्री स्कूल भी शामिल हैं। छात्र भी इस बात को समझते हैं कि नई भाषा सीखना क्यों जरूरी है। लिहाजा वे चीनी भाषा सीखने से परहेज नहीं करते। अब इनमें से कुछ छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए ताइवान भेजने पर विचार किया जा रहा है। पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए स्कॉलरशिप देने की भी योजना है। नई भाषा सिखाने के अलावा छात्रों को दूसरे करियर विकल्प के लिए मार्केटिंग, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और पर्यटन की भी शिक्षा दी जा रही है।
उत्तराखंड: बेहतर करियर विकल्प के लिए छात्रों को सिखाई जा रही है चीन की मंदारिन भाषा
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