Breaking News

जल्द ही तेलंगाना में भी SIR करा सकता है चुनाव आयोग     |   राष्ट्रपति ने 'वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025' को मंज़ूरी दी     |   आगरा में बेसमेंट निर्माण के दौरान हादसा, 7 लोग मलबे में दबे     |   दक्षिण अफ्रीका: पब में गोलीबारी, 9 लोगों की मौत     |   पश्चिम बंगाल: TMC से निलंबित हुमायूं कबीर का ऐलान, नई पार्टी बनाकर 294 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव     |  

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय का चौथा चरण शुरू, बैंकों की संख्या 43 से घटकर 28 होगी

Delhi: वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है, जिससे ऐसे बैंकों की संख्या वर्तमान में 43 से घटकर 28 हो जाने की संभावना है। वित्त मंत्रालय के तैयार खाके के अनुसार, विभिन्न राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय किया जाएगा। 

आरआरबी का विलय आंध्र प्रदेश (जहां सबसे अधिक चार आरआरबी हैं), उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल (प्रत्येक में तीन) और बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान (प्रत्येक में दो) में किया जाएगा। 

तेलंगाना के मामले में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (एपीजीवीबी) की परिसंपत्तियों व देनदारियों को एपीजीवीबी और तेलंगाना ग्रामीण बैंक के बीच विभाजित करने के अधीन होगा। 

वित्तीय सेवा विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को भेजे पत्र में कहा, ‘‘क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के ग्रामीण विस्तार और कृषि-जलवायु या भौगोलिक प्रकृति को देखते हुए और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की विशेष विशेषता अर्थात समुदायों के साथ उनकी निकटता को बनाए रखने के लिए ‘एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक’ के लक्ष्य को हासिल करने के वास्ते क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को और ज्यादा समेकित करने की जरूरत महसूस की जा रही है, ताकि व्यापक दक्षता और लागत को युक्तिसंगत बनाने का लाभ मिल सके।’’ 

बयान में कहा गया है कि आगे के समेकन के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की सलाह से खाका तैयार किया गया है, जिससे आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी। वित्तीय सेवा विभाग ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों के प्रमुखों से 20 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं। 

केंद्र ने 2004-05 में आरआरबी के संरचनात्मक समेकन की पहल की थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन चरणों के विलय के माध्यम से 2020-21 तक ऐसे संस्थानों की संख्या 196 से घटकर 43 रह गई। इन बैंकों की स्थापना आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत की गई थी, जिसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और  कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं देना था। 

इस अधिनियम में 2015 में संशोधन किया गया जिसके तहत ऐसे बैंकों को केन्द्र, राज्य और प्रायोजक बैंकों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई। केंद्र की वर्तमान में आरआरबी में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि 35 प्रतिशत और 15 प्रतिशत हिस्सेदारी क्रमशः संबंधित प्रायोजक बैंकों और राज्य सरकारों के पास है।