यूपी सहित दिल्ली हरियाणा पंजाब में पराली से होने वाले प्रदूषण को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, पराली जलाने वाले किसानों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं जिसके विरोध में किसान आंदोलन करते हैं और सरकार को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ता है.तो वहीं दूसरी ओर यूपी के शाहजहांपुर में एक प्रगतिशील किसान ने प्रदूषण से मुक्ति पाने के साथ साथ पराली को मोटी कमाई का जरिया भी बना लिया है. पराली से जैविक खाद बनाकर बेहतर कमाई कर रहे हैं और अन्य किसानों के लिए नजीर पेश की है.
इस समय देश के विभिन्न प्रदेशों सहित यूपी में भी पराली को जलाने से रोकने को लेकर सरकार पूरा तन्त्र लगाकर पराली जलाने से होने प्रदूषण को रोकने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं. लेकिन फिर भी रोक नहीं लग पा रही है और बढ़ता प्रदूषण लोगों के जीवन लिए संकट पैदा कर रहा है. लेकिन यूपी के शाहजहांपुर में निगोही ब्लाक के गांव नवीपुर के रहने वाले प्रगतिशील किसान ज्ञानेश तिवारी ने पराली का प्रबंधन करके उसे अपनी आमदनी का जरिया बनाया और सिर्फ मोटी कमाई ही नहीं बल्कि प्रदूषण से भी मुक्ति पाने की ओर एक कदम बढ़ाया है.
नेटवर्क 10 से खास बातचीत करते हुए गांव नवीपुर के रहने वाले प्रगतिशील किसान ज्ञानेश तिवारी ने पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के साथ ही पराली से कैसे आमदनी की जाए इस पर खुलकर बात की.
आपको बता दें कि ज्ञानेश तिवारी ब्लॉक निगोही के ग्राम नबीपुर के रहने वाले हैं ज्ञानेश तिवारी द्वारा गांव नवीपुर में कामधेनु डेयरी की स्थापना की है इसके साथ ही ज्ञानेश तिवारी जैविक खाद के बड़े उत्पादन कर्ता भी हैं. ज्ञानेश तिवारी ने नेटवर्क 10 से बातचीत के दौरान बताया कि उनके फार्म हाउस पर एक दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार देकर अपने खेतों के साथ साथ समस्त क्षेत्र की हजारों कुंटल पराली को एकत्रित करवाकर पिट विधि से केंचुओं के माध्यम से जैविक खाद तैयार करने में पराली का उपयोग करते हैं. इसके साथ ही भूसे की जगह अपने डेयरी फार्म के पशुओं को हरे चारे के साथ पराली को मिलाकर उसकी बड़े पैमाने पर खपत करते हैं. ज्ञानेश तिवारी बताते हैं कि एक सीजन में पराली प्रबंधन और उसके उपयोग से वह 8 लाख से 10 लाख रुपए की बड़ी बचत करते हैं. ज्ञानेश तिवारी का कहना है कि इससे एक और परली प्रबंधन से आमदनी होती है तो वहीं दूसरी ओर प्रदूषण पर भी रोक लगाकर इससे निजात मिलती है.
प्रगतिशील किसान ज्ञानेश तिवारी का कहना है कि पराली का प्रबंध करके पराली को गौशालाओं में उपयोग में लाया जा सकता है. जिससे गौशालाओं के पशुओं पर सरकार द्वारा खर्च किए जा रहे भारी भरकम बजट में कमी लाई जा सकती है. वहीं दूसरी ओर प्रदूषण और किसानों की पराली से संबंधित समस्याओं से भी मुक्ति मिलेगी. ज्ञानेश तिवारी का दावा है कि पराली प्रबंधन पर अगर सरकार ध्यान दे तो किसानों में जागरूकता लाकर उनकी आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ प्रदूषण से भी मुक्ति पाई जा सकती है.