Breaking News

क्रिकेटर तिलक वर्मा ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात की     |   चेन्नई: थर्मल पावर स्टेशन में बड़ा हादसा, 9 ने गंवाई जान, कई जख्मी     |   चेन्नई थर्मल पावर प्लांट में बड़ा हादसा, 9 लोगों की मौत     |   यूक्रेन युद्ध खत्म न होने की वजह से पुतिन से बहुत निराश हूं- डोनाल्ड ट्रंप का बयान     |   दिल्ली: सीआर पार्क के काली मंदिर पहुंचे पीएम मोदी, दुर्गा पूजा में हुए शामिल     |  

क्यों बड़ी कंपनियां नौकरी देने में कर रही हैं हिचक? जानिए 'Gen Z' से जुड़ी ये दिक्कतें

आज की युवा पीढ़ी, यानी Gen Z, अपने अनोखे दृष्टिकोण और काम करने के तरीके के लिए जानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बड़ी कंपनियां इन्हें नौकरी देने से क्यों कतराती हैं? आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।

1. उम्मीदें और वास्तविकता
Gen Z के युवा अक्सर एक बेहतर कार्य-जीवन संतुलन की तलाश में रहते हैं। वे उच्च वेतन, लचीली घंटों, और काम से संबंधित अन्य लाभों की उम्मीद करते हैं। जबकि कंपनियां कभी-कभी इन अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पातीं, जिससे नियोक्ता-नौकरी चाहने वालों के बीच मतभेद पैदा होता है।

2. तकनीकी स्किल्स
Gen Z टेक्नोलॉजी से लैस है और उन्हें नई तकनीकों के साथ काम करने की आदत है। लेकिन कुछ कंपनियां पारंपरिक तरीकों पर निर्भर रहती हैं और नई स्किल्स को अपनाने में धीमी होती हैं, जिससे युवाओं को अवसर नहीं मिल पाते।

3. संस्कृति और समावेशिता
आज के युवा सामाजिक न्याय और समावेशिता के प्रति संवेदनशील हैं। यदि कंपनी की संस्कृति इन मूल्यों को नहीं दर्शाती, तो वे वहां काम करने में रुचि नहीं रखते। इससे कंपनियों को योग्य उम्मीदवारों की कमी का सामना करना पड़ता है।

4. परंपरागत भर्ती प्रक्रिया
कई बड़ी कंपनियां अभी भी पारंपरिक भर्ती प्रक्रियाओं पर निर्भर हैं, जो Gen Z के लिए आकर्षक नहीं होतीं। जब तक वे प्रक्रिया को सरल और सुलभ नहीं बनातीं, तब तक युवा प्रतिभाओं को खींचना मुश्किल होगा।

5. बदलती प्राथमिकताएं
Gen Z का ध्यान केवल नौकरी पर नहीं है; वे ऐसे कार्यक्षेत्र की तलाश में हैं जहां वे सकारात्मक प्रभाव डाल सकें। कंपनियों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों और स्थिरता की पहलों को मजबूत करने की आवश्यकता है, अन्यथा वे युवा प्रतिभाओं को खो सकते हैं।

बड़ी कंपनियों को Gen Z के साथ तालमेल बैठाने के लिए अपनी रणनीतियों को फिर से सोचना होगा। उनकी उम्मीदों और प्राथमिकताओं को समझकर ही कंपनियां इस युवा पीढ़ी के साथ संबंध स्थापित कर सकती हैं। अगर वे ऐसा नहीं करतीं, तो वे भविष्य के सबसे प्रतिभाशाली कामकाजी समूह को खो सकती हैं।