Overthinking: हम काफी तेजी से मॉडर्न होते जा रहे हैं, हमारी लाइफस्टाइल भी पहले से काफी बदल रही है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में बात करने का समय कम मिल रहा है, फोन पर रील स्क्रॉल करने में समय अधिक गुजर रहा है। साथ ही किसी भी तरह की परेशानी आने पर उससे कैसे निबटें, इसकी बजाय पूरा ध्यान सोचने में लगा देते हैं, सफलता कैसे मिलेगी? पैसा कैसे ज्यादा कमाए? शांत जीवन कैसे व्यतीत करें? घर-परिवार, दोस्त या फिर ऑफिस, हम किसी भी मुद्दे को इतना बड़ा बना देते हैं, जितना बड़ा वो होता भी नहीं है। उस मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा सोचते रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं, अधिक सोचना आपकी सेहत पर कितना असर डाल सकता है। चलिए जानते हैं...
क्यों होती है ओवरथिंकिंग
दरअसल, ज्यादा सोचना एक ऐसी प्रकिया है, जिसमें कोई भी इंसान किसी भी चीज, समस्या या घटना के बारे में जरूरत से ज्यादा और बार-बार सोचता रहता है। इसमें व्यक्ति एक ही विचार पर बहुत देर तक सोचता है। ओवरथिंकर्स को विचारों को छोड़ने में कठिनाई होती है और क्योंकि बहुत ज्यादा सोचते हैं तो दिमाग भी काम नहीं करता, जिससे कोई भी निर्णय लेने में प्रॉब्लम आती है।
क्या आ सकती हैं समस्या
ज्यादा सोचना दिमाग के काम करने के तरीके में बदलाव ला सकता है। ज्यादा सोचना तनाव, चिंता और मूड स्विंग जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बनता है। जिसका असर सीधा आपको पाचन तंत्र पर भी पड़ सकता है। इससे पेट में जलन, इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम, गैस्ट्रिक सीक्रेशन में परिवर्तन, आंतों का सही से काम न करना आदि शामिल हैं।
कैसे करें बचाव
मेडिटेट करें- मन को शांत रखने के लिए जरूरी है कि रोज मेडिटेशन करें, जिससे नेगेटिव विचारों से छुटकारा मिलेगा। आप किसी शांत जगह पर बैठकर ध्यान लगाएं और ऐसा हर रोज करीबन 15-20 मिनट तक करें।
व्यायाम- रेगुलर व्यायाम करने से शारीरिक और मानसिक दोनों को ही आराम मिलता है। इससे चिंता और तनाव भी कम होता है। साथ ही ओवरथिंकिंग की समस्या भी कम होती है।
जर्नलिंग करें- ओवरथिंकिंग को कम करने के लिए लिखना बहुत कारगार तरीका है। जर्नलिंग एक ऐसी प्रैक्टिस है, जिसमें आप अपने विचारों, भावनाओं, अनुभवों और नजरिए को किसी भी डायरी या पेज पर लिखते हैं। लिखो तब तक, जब तक कि आपके अंदर से हर एक भाव, विचार खत्म न हो जाए। ये काफी हेल्पफुल प्रकिया है, ओवरथिंकिंग को कम करने के लिए।
किसी से बात करें- ओवरथिंकिंग हो रही है, लेकिन किसी से कुछ कह नहीं पा रहे हैं, तो अपने सबसे करीबी लोग जोकि दोस्त या परिवार में से कोई भी हो सकता है, उनसे बात करें।
पॉजिटिव रहें- ये बहुत जरूरी चीज है। अपनी सकारात्मकता पर ध्यान दें, न कि नकारात्मकता पर।