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हिमाचल में भारी बारिश से भूस्खलन, मरने वालों की संख्या 7 हुई, सड़कें और स्कूलें बंद

हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण फिर से तबाही मची है। बचाव कर्मियों ने मंडी ज़िले में भूस्खलन के मलबे से चार और शव बरामद किए हैं, जबकि कुल्लू ज़िले में दो मकान ढहने से एनडीआरएफ के एक जवान समेत दो लोगों के मारे जाने की आशंका है। अधिकारियों ने बुधवार को ये जानकारी दी। खराब मौसम को देखते हुए, एक आदेश में कहा गया है कि राज्य में सभी सरकारी और निजी कॉलेज और स्कूल सात सितंबर तक बंद रहेंगे। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार शाम सुंदरनगर इलाके की बीबीएमबी कॉलोनी के पास हुए भूस्खलन की चपेट में आए चार और लोगों के शव बरामद किए गए हैं, जिससे मरने वालों की संख्या सात हो गई है। सुंदरनगर के उप-मंडल मजिस्ट्रेट अमर नेगी ने बताया कि मरने वालों में से पांच एक ही परिवार के सदस्य थे।

एसडीएम ने बताया कि मृतकों में से तीन की पहचान सुरिंदर कौर, उनके बेटे गुरप्रीत सिंह और प्रकाश शर्मा के रूप में हुई है, जबकि अन्य के विवरण का इंतज़ार है। अधिकारियों ने बताया कि कुल्लू जिले के अखाड़ा बाजार इलाके में मंगलवार देर रात भूस्खलन के बाद दो मकान ढह जाने से एनडीआरएफ के एक जवान समेत दो लोगों के मारे जाने की आशंका है। इनकी पहचान एनडीआरएफ जवान नरिंदर (37) और एक कश्मीरी युवक वकार अहमद (24) के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान जारी है। किन्नौर जिले के वांगतू में पहाड़ी से गिरे पत्थरों के कारण सड़क किनारे खड़े पांच ट्रक क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे और ज्यादा तबाही की खबरें आ रही हैं। वहीं मंडी के जोगिंदरनगर के कुंदुनी गांव में भूस्खलन के खतरे के बाद 15 घरों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार रात सोलन जिले के कंडाघाट के चौहरा गांव में एक घर पर पहाड़ का मलबा गिरने से घर में रहने वाले लोग बाल-बाल बच गए। अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार दिनों में हुई भारी बारिश के कारण बिलासपुर जिले के जामली इलाके में एक प्राथमिक विद्यालय की पिछली दीवार ढह गई और पानी इमारत में घुस गया। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि शिक्षकों और प्रशासनिक कर्मचारियों को भी कॉलेजों और स्कूलों में जाने से छूट दी जाएगी। हालांकि, संस्थानों के प्रमुख ये सुनिश्चित करेंगे कि जहां तक संभव हो, कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से संचालित की जाएं।

आदेश में कहा गया है, मौजूदा खराब मौसम की स्थिति के कारण, पूरे राज्य में कई स्थानों पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने की प्रबल संभावना है और इसलिए छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। आदेश में कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों को इस अवधि के दौरान बुनियादी ढांचे और चल संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और चल संपत्तियों और स्कूल रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए सतर्क रहना चाहिए। राज्य में 1,162 सड़कें अवरुद्ध होने से सड़क यात्रा बाधित हुई।

राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) ने कहा कि मंडी में 289, शिमला में 234, कुल्लू में 205 और सिरमौर जिले में 137 सड़कें अवरुद्ध हैं, जबकि चंबा जिले से विवरण की प्रतीक्षा है। केंद्र ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग-3 (मंडी-धर्मपुर मार्ग), राष्ट्रीय राजमार्ग-5 (पुराना हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग), राष्ट्रीय राजमार्ग-21 (चंडीगढ़-मनाली मार्ग), राष्ट्रीय राजमार्ग-205 (खरड़ से स्वारघाट), राष्ट्रीय राजमार्ग 305 (औट-सैंज मार्ग), राष्ट्रीय राजमार्ग-505 खाब से ग्राम्फू और राष्ट्रीय राजमार्ग 707 (हाटकोटी से पांवटा) अवरुद्ध हैं। शिमला-कालका मार्ग पर भूस्खलन के कारण शुक्रवार (पांच सितंबर) तक ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं।

हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश जारी रही। मंगलवार रात से नैना देवी में 136 मिमी, जोत में 100.6 मिमी, पच्छाद में 77 मिमी, कोठी में 68.4 मिमी, चंबा में 66 मिमी, बिलासपुर में 60.4 मिमी, रोहड़ू में 60 मिमी, मनाली में 57 मिमी, पालमपुर में 52.6 मिमी, कसौली में 49.5 मिमी, कंडाघाट और ददाहू में 48-48 मिमी, सराहन में 44.5 मिमी, सोलन में 43.6 मिमी, काहू में 43.5 मिमी और मलरांव में 40 मिमी बारिश हुई।

स्थानीय मौसम विभाग ने बुधवार को राज्य के कुछ इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश की नारंगी चेतावनी जारी की है। 20 जून को हिमाचल प्रदेश में मानसून के आगमन के बाद से, राज्य में 95 बार अचानक बाढ़, 45 बार बादल फटने और 122 बड़े भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। मानसून शुरू होने के बाद से बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 341 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 41 लोग लापता हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून में अब तक राज्य को 3,525 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।