छत्तीसगढ़ के बालोद में एक ऐसा मंदिर है, जहां श्रद्धालु देवताओं के साथ-साथ एक कुत्ते की भी पूजा करते हैं। कुकुरदेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर आस्था, निष्ठा और विश्वास की असाधारण कहानी बयां करता है। पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित किए गए इस मंदिर में प्राचीन हिंदू परंपराओं और मनुष्य के सबसे अच्छे दोस्त के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ये मंदिर प्राचीन काल के एक वफादार कुत्ते के सम्मान में बनाया गया था। जहां श्रद्धालु कुत्ते की पूजा करते हैं। मंदिर परिसर में एक कुत्ते की मूर्ति स्थापित है। यहां रहने वाले लोग मंदिर की शक्तियों में भरोसा करते हैं। उनका दावा है कि अगर किसी को कुत्ते ने काट लिया है तो वो वहां आकर ठीक हो सकता है।
नवरात्रि और महाशिवरात्रि के दौरान यहां दूर-दूर से लोग आते हैं और मनोकामनाएं पूरी होने के लिए मंदिर में दीपक जलाते हैं। कुत्ते की अटूट भक्ति का सम्मान करते हुए कुकुरदेव मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक है। ये मंदिर ईमानदारी, वफादारी और श्रद्धा की कहानी बयां करता है।