वरुणावत पर्वत पर जहां भूस्खलन हुआ है वह संवेदनशील क्षेत्र है। जो कि अब दोबारा सक्रिय हो गया है। इसके ट्रीटमेंट में देरी नहीं की जानी चाहिए। ट्रीटमेंट में देरी खतरे को बढ़ा सकती है। इस पर्वत पर भूस्खलन की एक बड़ी वजह मानवीय हस्तक्षेप है। पहाड़ की तलहटी को खोदने के साथ लोग अब ऊपर की तरफ बढ़ते जा रहे थे, इससे पहाड़ पर बोझ बढ़ा है। इसी वजह से भूस्खलन हुआ है।यह कहना है कि वर्ष 2003 में वरुणावत पर्वत पर हुए भूस्खलन के बाद उसके ट्रीटमेंट कार्य की अगुवाई करने वाले भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के तत्कालीन निदेशक डॉ. पीसी नवानी का। डॉ. नवानी ने 21 साल बाद वरुणावत पर दोबारा भूस्खलन होने पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि इस पहाड़ पर जो भी दिक्कतें आई हैं उसकी एक बड़ी वजह मानवीय हस्तक्षेप हैं।
वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट में देरी पड़ सकती है भारी
You may also like

देश में मानसून के बाद अक्टूबर में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना, IMD ने जताया अनुमान.

CM सैनी ने हरियाणा में 500 नवीनीकृत आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण और 64 नए आंगनबाड़ी केंद्रों का किया उद्घाटन.

गाजियाबाद में मिशन शक्ति 5.0 के तहत छात्रा ने संभाला एक दिन के लिए लोनी एसीपी का कार्यभार.

बिहार के सुपौल में SSB की छापेमारी, 99 जिंदा कारतूस सहित दो युवक गिरफ्तार.
