बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री वर्षों से ग्लैमर, सपनों और संघर्ष की दुनिया रही है। लेकिन इस चमकते हुए पर्दे के पीछे एक ऐसी बहस लगातार चलती रही है जिसने फिल्म इंडस्ट्री पर कई तरह के सवाल उठाए हैं और वो है नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद। नेपोटिज्म का मतलब है अपने परिवार, रिश्तेदारों या करीबियों को विशेष अवसर देना, चाहे वे उसके योग्य हों या नहीं। बॉलीवुड में यह मुद्दा तब ज्यादा उठने लगा जब लोगों ने देखा कि फिल्म इंडस्ट्री के बड़े घरानों के बच्चे आसानी से डेब्यू कर लेते हैं, जबकि बाहर से आने वाले टैलेंटेड युवा सालों संघर्ष के बाद भी मौके के लिए तरसते रहते हैं।
बॉलीवुड में कई बड़े सितारे ऐसे हैं जो फिल्मी परिवारों से आते हैं। आलिया भट्ट, वरुण धवन, अर्जुन कपूर, जान्हवी कपूर, अनन्या पांडे, टाइगर श्रॉफ आदि को उनका पहला ब्रेक इंडस्ट्री के कनेक्शन्स की बदौलत आसानी से मिला। हालांकि इनमें से कई ने बाद में अपनी मेहनत से अपनी पहचान भी बनाई, लेकिन सवाल ये है कि बाहर से आने वाले कलाकारों को ऐसे मौके क्यों नहीं मिलते?
सुशांत सिंह राजपूत, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी, राजकुमार राव जैसे कलाकारों ने बिना किसी गॉडफादर के अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर खुद को साबित किया। मगर उनके संघर्ष की कहानियां बताती हैं कि बिना पहचान और कनेक्शन के बॉलीवुड में जगह बनाना आसान नहीं होता।
बॉलीवुड के प्रमुख नेपो किड्स:
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आलिया भट्ट – मशहूर फिल्म निर्देशक महेश भट्ट की बेटी हैं। आलिया ने करण जौहर की फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर से बॉलीवुड में डेब्यू किया और आज टॉप एक्ट्रेसेस में गिनी जाती हैं।
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वरुण धवन – डायरेक्टर डेविड धवन के बेटे। वरुण ने भी स्टूडेंट ऑफ द ईयर से करियर की शुरुआत की थी।
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जान्हवी कपूर – दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी और प्रोड्यूसर बोनी कपूर की बेटी हैं। उन्होंने फिल्म धड़क से डेब्यू किया।
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सारा अली खान – अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी। उन्होंने केदारनाथ फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखा।
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अनन्या पांडे – अभिनेता चंकी पांडे की बेटी हैं। उन्होंने भी करण जौहर के बैनर से डेब्यू किया।
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टाइगर श्रॉफ – एक्शन हीरो जैकी श्रॉफ के बेटे हैं। उन्होंने फिल्म हीरोपंती से धमाकेदार एंट्री की।
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आर्यन खान और सुहाना खान – शाहरुख खान के बेटे और बेटी, जिन्हें पहले से ही बड़े प्रोजेक्ट्स में लॉन्च किए जाने की चर्चा है।
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इशान खट्टर – अभिनेता शाहिद कपूर के सौतेले भाई, जिन्होंने बियॉन्ड द क्लाउड्स और धड़क में अभिनय किया।
इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा चर्चा तब हुई जब कंगना रनौत ने करण जौहर को 'नेपोटिज्म के गॉडफादर' कहा। कंगना मानना था कि इंडस्ट्री में टैलेंट की जगह परिवारवाद चलता है। कई स्ट्रगलिंग एक्टर्स ने भी यही आरोप लगाया कि उन्हें सिर्फ इसलिए मौका नहीं मिलता क्योंकि वे स्टार किड नहीं हैं।कई नेपो किड्स ने अपनी कड़ी मेहनत और अभिनय से खुद को साबित किया है जैसे रणबीर कपूर, आलिया भट्ट या टाइगर श्रॉफ। लेकिन शुरुआत में मिलने वाला प्लेटफॉर्म, मौके और सुविधाएं उन्हें दूसरों से एक कदम आगे रखती हैं।
हर कोई चाहता है कि उसका बच्चा उसके काम में आगे बढ़े। लेकिन समस्या तब होती है जब सिर्फ नाम की वजह से किसी को मौके मिलते हैं और टैलेंट को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इंडस्ट्री को एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जहां सभी कलाकारों को समान मौके और मंच मिले। नेपोटिज़्म बॉलीवुड की एक कड़वी सच्चाई है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लेकिन दर्शकों की पसंद और जागरूकता ही असली बदलाव ला सकती है। जब लोग टैलेंट को सराहेंगे और सपोर्ट करेंगे, तभी सच्चे कलाकारों को उनका हक मिलेगा और बॉलीवुड वास्तव में एक 'सपनों की दुनिया' बन सकेगा जहां हर सपना सच हो सकता है।