(फोटो के साथ)
गुवाहाटी, 21 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को गुवाहाटी स्थित ‘शहीद स्मारक क्षेत्र’ में असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। असम आंदोलन अवैध प्रवासियों के खिलाफ था।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्मारक क्षेत्र में एक दीप के सामने पुष्पांजलि अर्पित की। यह दीप छह साल चले एवं 1985 में समाप्त हुए आंदोलन में शहीद हुए 860 लोगों की स्मृति में सदैव प्रज्वलित रहता है।
करीब 20 मिनट के अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने स्मारक परिसर का भ्रमण किया और शहीदों की याद में निर्मित दीर्घा को भी देखा, जहां शहीदों की आवक्ष प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। प्रधानमंत्री ने असम आंदोलन के पहले शहीद खड़गेश्वर तालुकदार की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।
खड़गेश्वर तालुकदार का निधन 10 दिसंबर 1979 को हुआ था और इस महीने की शुरुआत में उनकी पुण्यतिथि पर इस स्मारक का उद्घाटन किया गया।
इस दौरान मोदी के साथ वहां पहुंचे मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य की संस्कृति की रक्षा के लिए लोगों द्वारा किए गए बलिदानों को याद किया।
शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आज जब आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने ‘शहीद स्मारक क्षेत्र’ में श्रद्धांजलि अर्पित की और शहीद खड़गेश्वर तालुकदार की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, तो मुझे असम के इतिहास के वे काले दिन याद आ गए जब कांग्रेस पार्टी ने अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देकर, धरतीपुत्रों का नरसंहार किया और राज्य को आर्थिक गर्त में धकेलकर असम को कई तरह से लूटा।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसके विपरीत आज लोग विकास का उत्सव मना रहे हैं और प्रधानमंत्री स्वयं संस्कृति की रक्षा में लोगों के बलिदान को याद कर रहे हैं तथा असम के विकास में पिछले सभी प्रधानमंत्रियों की तुलना में कहीं अधिक गहराई से जुड़े हुए हैं।’’
इस अवसर पर राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और असम समझौता क्रियान्वयन मंत्री अतुल बोरा प्रधानमंत्री के साथ मौजूद थे।
शर्मा ने कहा कि मोदी ‘‘असम के पुनर्जागरण’’ का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘डबल इंजन सरकार के व्यापक प्रयासों के तहत असम को तेज विकास के मार्ग पर वापस लाने के इस सफर का एक छोटा सा हिस्सा बनकर मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूं, जहां शांति, समृद्धि और स्थिरता का राज हो।’’
मोदी के दौरे के बाद बोरा ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने शहीदों के बारे में जानकारी ली और मुख्यमंत्री ने उन्हें इस संबंध में संक्षेप में बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह असम के लिए एक यादगार दिन है। प्रधानमंत्री ने उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने कांग्रेस शासन के दौरान चले छह वर्षीय आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी थी।’’
बोरा राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी पार्टी और ऑल असम गण संग्राम परिषद (एएजीएसपी) की राजनीतिक शाखा असम गण परिषद (एजीपी) के अध्यक्ष भी हैं। एएजीएसपी असम आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख संगठनों में शामिल था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के इस दौरे के बाद पूरी दुनिया असम आंदोलन के बारे में और अधिक जानना चाहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रधानमंत्री दीर्घा का दौरा कर रहे थे, तो वह शहीदों के बारे में विस्तार से जानना चाहते थे। इस तरह से अब तक किसी भी प्रधानमंत्री ने असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि नहीं दी थी। इसके लिए हम मोदी जी के आभारी हैं।’’
करीब 170 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस स्मारक में जलाशय, सभागार, एक प्रार्थना कक्ष, एक साइकिल ट्रैक और ध्वनि एवं प्रकाश शो की व्यवस्था जैसी सुविधाएं हैं। ध्वनि एवं प्रकाश शो के माध्यम से असम आंदोलन के विभिन्न पहलुओं और राज्य के इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा।
यह आंदोलन 15 अगस्त 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ था। अवैध प्रवासियों का पता लगाना और उन्हें निर्वासित करना ही वह मुख्य मुद्दा था जिसके चलते छह साल तक यह हिंसक आंदोलन चला।
घुसपैठ आज भी असम के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में सबसे विवादास्पद विषयों में से एक बना हुआ है और अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के इसी एक मुद्दे पर राज्य में कई चुनाव लड़े गए हैं।
भाषा सुरभि अमित
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