राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आज तमिलनाडु के मयिलादुथुराई और चेन्नई जिलों समेत 20 जगहों पर छापेमारी की. यह छापेमारी सुबह 3.30 बजे शुरू हुई. इनमें से 15 स्थान मयिलादुथुराई में और पांच चेन्नई में थे, जिसमें केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की टीमें शामिल हैं. इन छापेमारी में तमिलनाडु पुलिस भी सहायता कर रही है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी प्रतिबंधित इस्लामी कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े क्षेत्रों को लेकर हुई.
एनआईए ने पहले भी तमिलनाडु में तंजावुर, तिरुचि, कोयंबटूर, मदुरै और अन्य इलाकों में इसी तरह की छापेमारी की है. ये छापे मुख्य रूप से प्रतिबंधित पीएफआई के पूर्व सदस्यों को लेकर डाले गए थे, जिसे केंद्र सरकार ने 2022 में प्रतिबंधित कर दिया था. आज की यह कार्रवाई कथित तौर पर तंजावुर में पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) नेता रामलिंगम की 2019 में हुई हत्या की जांच से जुड़ी है. रामलिंगम की कथित तौर पर 5 फरवरी, 2019 को पीएफआई सदस्यों द्वारा हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने वंचित समुदायों के बीच जबरन धर्म परिवर्तन का विरोध किया था.
इस मामले में एनआईए ने पहले 18 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. 24 सितंबर, 2024 को एनआईए ने चेन्नई, कन्याकुमारी और पुदुकोट्टई सहित तमिलनाडु में 12 स्थानों पर छापे मारे थे. ये छापे प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) की भर्ती गतिविधियों से जुड़े थे, जिसका उद्देश्य अपने संस्थापक तकी अल-दीन अल-नभानी के संविधान द्वारा शासित एक इस्लामिक राज्य की स्थापना करना है.
एनआईए ने तमिलनाडु पुलिस से एचयूटी मामले को अपने हाथ में लिया और 31 अगस्त, 2024 को बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एचयूटी कार्यकर्ता अजीज अहमद (जिसे जलील अजीज अहमद के नाम से भी जाना जाता है) को गिरफ्तार किया, क्योंकि वह देश से भागने की कोशिश कर रहा था. अजीज की गिरफ्तारी को भारत में एचयूटी की गतिविधियों पर कार्रवाई में एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में देखा गया. इससे पहले, 1 अगस्त, 2024 को, तमिलनाडु पुलिस ने खुफिया सूचनाओं के आधार पर एचयूटी से जुड़े छह लोगों को गिरफ्तार किया था.
इनमें इंजीनियरिंग स्नातक हमीद हुसैन, उसके पिता और उसके भाई शामिल थे, जिन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप लगाए गए थे. इसके बाद की जांच में चेन्नई और उत्तरी तांबरम में छापेमारी के बाद तीन अतिरिक्त संदिग्धों की गिरफ्तारी हुई. पुलिस ने खुलासा किया कि हमीद हुसैन एचयूटी के लिए भर्ती प्रयासों के पीछे का मास्टरमाइंड था और सोशल मीडिया पर इस्लामिक खिलाफत की वकालत करते हुए वीडियो शेयर कर रहा था. अधिकारियों के अनुसार, उसने अपने कुछ वीडियो में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की भी आलोचना की. एनआईए इन नेटवर्कों की जांच जारी रखे हुए है, जो उनकी भर्ती रणनीतियों और कट्टरपंथी प्रयासों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रही है.