एक तरफ जहां भारत के बड़े हिस्से में रावण के पुतले जलाकर दशहरा मनाया जाता है, वहीं जोधपुर में श्रीमाली समुदाय के लिए ये शोक का दिन है। लंका के राजा का वंशज होने का दावा करने वाले इस समुदाय ने रावण का भव्य मंदिर बनवाया है।
उनके लिए दशहरा शुद्धिकरण अनुष्ठान करने का दिन है। समुदाय का मानना है कि रावण की भक्ति से उन्हें विरासत में ताकत और ज्ञान मिला है और यहां के लोग भगवान शिव के विद्वान भक्त के रूप में रावण की विरासत को कायम रखे हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण का विवाह राजकुमारी मंदोदरी से हुआ था, जो जोधपुर की रहने वाली थीं। ऐसा माना जाता है कि रावण की बारात में शामिल होकर आये कुछ लोग जोधपुर में बस गये और रावण के वही वंशज अब श्रीमाली गोदा ब्राह्मण के नाम से जाने जाते हैं।
जोधपुर के 'रावण वंशज' नहीं बनाते हैं दशहरा का त्योहार
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