Gujarat: चाक पर मिट्टी को आकार दे रहे, ये हैं गुजरात के राजपुर निवासी शैलेष प्रजापति। शैलेश प्रजापति मिट्टी के बर्तन और खिलौने बनाकर अपना घर चलाते हैं। शैलेश अपनी बेटी दिव्या को पढ़ा लिखाकर टीचर बनाना चाहते हैं और गुजरात सरकार की 'नमो लक्ष्मी योजना' की बदौलत उनका ये सपना साकार होने की तरफ बढ़ रहा है।
11वीं की छात्रा अक्षरा बानो का सपना आईपीएस बनने का है, और उनके सपनों की इस उड़ान में 'नमो लक्ष्मी योजना' काफी मददगार साबित हो रही है। योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता से अक्षरा अपनी पढ़ाई के लिए जरूरत की सारी चीज़ें आसानी से खरीद पाती हैं।
गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार ने 2024 में नमो लक्ष्मी योजना शुरू की, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों की छात्राओं को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।योजना का मकसद पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने, ड्रॉप आउट रेट को कम करना और उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देना है। गुजरात सरकार की ओर से छात्राओं को 9वीं से 12वीं कक्षा तक कुल 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद मिलती है। कक्षा 9 और 10 पास होने पर 10 हजार रूपये, जबकि कक्षा 11 और 12 के विद्यार्थियों को कुल 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता मिलती है। योजना शुरू होने के बाद से अब तक 10 से ज्यादा लड़कियां इससे लाभान्वित हो चुकी हैं।
कक्षा 9 में पढ़ने वाली सभी छात्राएं, जिन्होंने प्राथमिक विद्यालय से कक्षा 8 तक की पढ़ाई पूरी कर ली है और जिनके परिवार की वार्षिक आय 6 लाख रुपये या उससे कम है, नमो लक्ष्मी योजना का लाभ पाने के लिए पात्र हैं। राज्य सरकार ने नमो लक्ष्मी योजना के लिए 1,250 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है, जिसमें अब तक 572.93 करोड़ रुपये का उपयोग हो चुका है। यानी अब बिना किसी आर्थिक बोझ के ग़रीब वर्ग की लड़कियां अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। यह पहल परिवारों को लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए भी प्रेरित करती है, जिससे भविष्य के लिए सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिलता है।