राजस्थान के कोचिंग हब कोटा में हजारों छात्र असुरक्षित हालात में पढ़ाई कर रहे हैं। यहां 14 स्कूलों की इमारतों को गिराने के लिए चुना गया है। 1,000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों के 600 से 700 क्लासरूम बदहाल हैं। इन्हें तत्काल मरम्मत के वर्ग में रखा गया है।
जांच-पड़ताल के ये नतीजे झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने के हादसे के बाद सामने आए हैं। उस हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई थी और 28 जख्मी हो गए थे। सदियों पुराने नंता महल में अब एक सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है, जहां करीब 600 छात्र पढ़ते हैं। वो भी खंडहर बन चुका है।
अधिकारियों का कहना है कि इमारत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। इसी वजह से इसका रखरखाव रुका हुआ है। हालांकि कुछ स्कूलों को रखरखाव के पैसे मिले हैं, लेकिन मंजूरी में देरी और लगातार हो रही बारिश की वजह से कई इमारतों को दुरुस्त नहीं किया जा सका है।
पैसों के अभाव में गिरधरपुरा का एक आंगनवाड़ी केंद्र मंदिर के कमरे में चल रहा है। यहां कोई और विकल्प उपलब्ध नहीं है। आंगनवाड़ी कर्मचारियों को डर है कि उन्हें कभी भी कमरा खाली करने के लिए कहा जा सकता है।
जिला कलेक्टर के आदेश पर लोक निर्माण और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जिले के स्कूलों की इमारतों का निरीक्षण किया। झालावाड़ के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को हुई त्रासदी के बाद जिला प्रशासन ने निरीक्षण तेज कर दिया है।