मार्गशीर्ष माह विष्णु जी की अवतार श्रीकृष्ण को प्रिय है. महाभारत काल के दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को एकादशी व्रत का महत्व बताया था, मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह में आने वाली एकादशी का व्रत करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा ने भी इस व्रत को रखा था. इस व्रत के प्रभाव से उन्हें अनंत सुख की प्राप्ति हुई थी. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी क्यों मनाई जाती है, कब रखा जाएगा व्रत, इसके लाभ क्या है.
उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर 2024 को है. मार्गशीर्ष माह की इस एकादशी से ही ग्यारस का व्रत शुरू हुआ था. इसी दिन देवी एकादशी विष्णु जी के शरीर से प्रकट हुई थी.
हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के अंश से एक देवी उत्पन्न हुई थी, जिने एकादशी कहा जाता है। दरअसल जब भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा में, तो मुर नामक का एक राक्षस उन पर आक्रमण करने आया था।
ऐसे में विष्णु जी के शरीर से दिव्य स्वरूपा देवी की उत्पत्ति हुई थी। जिन्होंने दैत्य का वध कर दिया था। इसके बाद जब भगवान विष्णु अपीन योग निद्रा से जागे, तो वह देवी के ऊपर अति प्रसन्न हुए और उन्हें देवी एकादशी के रूप में पूजा करने का वरदान दिया। इसी के कारण मान्यता है कि इस दिन जो एकादशी का विधिवत व्रत रखने के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, तो उन्हें हर एक दुख-दर्द से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।