अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि में झूलनोत्सव की शुरुआत आज से हो रही है। नाग पंचमी पर इसका विशेष आयोजन होगा। रामलला अपने भाइयों के साथ रजत हिंडोले में विराजित होंगे।
रामनगरी के सैकड़ों मंदिरों में झूलनोत्सव की छटा बिखरने लगी है, लेकिन रामलला के दरबार में झूलनोत्सव की परंपरा अन्य मंदिरों से अलग है। राम मंदिर में शुक्रवार यानी नाग पंचमी से झूलनोत्सव का आनंद छलकेगा। रामलला सहित चारों भाई रजत हिंडाेले पर विराजमान होकर एक पखवाड़े तक भक्तों को दर्शन देंगे।
बृहस्पतिवार की शाम को गर्भगृह के सम्मुख गुढ़ी मंडप में झूले को सजा दिया गया था। शुक्रवार की सुबह रामलला को झूले पर विराजमान करा दिया जाएगा। 20 फीट दूर से रामलला भक्तों को दर्शन देंगे।
रामनगरी का ऐतिहासिक सावन झूला मेला शुरू हो चुका है। अयोध्या के मंदिरों में झूलनोत्सव की अलग-अलग परंपरा है। यहां अधिकांश मंदिरों में जहां सावन शुक्ल तृतीया से मंदिरों में झूलनोत्सव का श्रीगणेश हो चुका है तो कुछ मंदिरों में पंचमी तिथि व कुछ में एकादशी से झूलनोत्सव का शुभारंभ होगा।
पंचमी तिथि से जिन प्रमुख मंदिरों में झूलनोत्सव की छटा बिखरेगी उनमें रामलला सहित आचारी मंदिर प्रमुख हैं। मंदिर के संस्थापक विष्णु प्रकाशाचार्य ने झूलनोत्सव की जो परंपरा शुरू की थी वह निरंतर समृद्ध होती गई। पंचमी से राम, लक्ष्मण व माता जानकी के विग्रह को झूले पर विराजित कर उत्सव का शुभारंभ किया जाएगा। हर रोज कत्थक, कजरी गीतों की प्रस्तुति भव्यता बढ़ाएगी।