जब ठंड का मौसम आता है, तो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ठंड की महसूस होती है, लेकिन कुछ हिस्से ऐसे होते हैं, जहां ठंड सबसे ज्यादा महसूस होती है। इन हिस्सों की विशेषताएं शरीर के तापमान को महसूस करने और तापमान को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। आइए जानते हैं शरीर के वे हिस्से, जहां ठंड सबसे ज्यादा महसूस होती है:
1. हाथ और पैर (हाथों और पैरों की उंगलियां)
शरीर के हाथ और पैर सबसे पहले ठंड को महसूस करते हैं, क्योंकि ये शरीर के बाहर के अंग होते हैं और इनकी रक्त आपूर्ति अपेक्षाकृत कम होती है। जब तापमान कम होता है, तो शरीर अपने आंतरिक अंगों को गर्म रखने के लिए बाहरी हिस्सों की रक्त आपूर्ति कम कर देता है, जिससे हाथ और पैर जल्दी ठंडे हो जाते हैं। विशेष रूप से, हाथों की उंगलियां और पैरों की उंगलियां ठंडी सबसे ज्यादा महसूस होती हैं।
2. नाक और कान
नाक और कान भी ठंड महसूस करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये शरीर के बाहरी हिस्से हैं और यहां रक्त प्रवाह भी कम होता है। नाक में ठंडी हवा प्रवेश करती है और इसे गर्म करने की प्रक्रिया के दौरान नाक ठंडी महसूस होती है। कानों में भी रक्त प्रवाह कम होता है, जिससे ये जल्दी ठंडे हो जाते हैं और सर्दी महसूस होती है।
3. गाल और चेहरा
चेहरे के कुछ हिस्से जैसे गाल और ठोड़ी भी ठंड को अधिक महसूस करते हैं। यह हिस्से त्वचा के करीब होते हैं और शरीर की गर्मी को जल्दी खो सकते हैं। सर्दी में ये हिस्से ज्यादा ठंडे महसूस होते हैं, क्योंकि यहां भी रक्त प्रवाह अपेक्षाकृत कम होता है।
4. पेट और कोहनी (हड्डियों वाले हिस्से)
पेट और कोहनी जैसे हिस्से भी सर्दी को अधिक महसूस कर सकते हैं, खासकर जब शरीर का तापमान गिरता है और बाहरी तापमान बहुत कम हो। यह भागों की संरचना के कारण, जहां मांसपेशियां कम होती हैं और हड्डियां अधिक होती हैं, इनमें ज्यादा ठंड महसूस होती है।
5. पीठ का निचला हिस्सा और कूल्हे
कूल्हे और पीठ के निचले हिस्से में भी ठंड बहुत जल्दी महसूस होती है, क्योंकि ये शरीर के निचले और बाहरी अंग होते हैं, जहां रक्त प्रवाह कम होता है। शरीर इन हिस्सों को गर्म रखने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करता, जिससे सर्दी जल्दी महसूस होती है।
शरीर के विभिन्न हिस्से ठंड को अलग-अलग तरीके से महसूस करते हैं, लेकिन हाथ, पैर, नाक, कान, और चेहरा में ठंड सबसे ज्यादा महसूस होती है, क्योंकि ये अंग शरीर के बाहर होते हैं और इनकी रक्त आपूर्ति भी सीमित होती है। ठंड से बचाव के लिए इन अंगों को ढकना और गर्म रखना जरूरी है।