ब्रिटेन ने दुनिया को धर्म निरपेक्षता यानि सेक्युलरिज्म का विचार दिया. लेकिन अब उसी ब्रिटेन में बार-बार दंगे हो रहे है और वहां रह रहे मुस्लमानों को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। 18 जुलाई को ब्रिटेन के लिड्स शहर में लगभग दो हजार दंगाईयों ने सरकारी बसों और संपत्ति में आग लगा दी। जिससे लगभग 11 करोड़ की सरकारी संपत्ती को नुकसान पहुंचा है और इन दंगो में एक बात जो देखने को मिली वो ये कि उतपात मचाने वाले तमाम लोग निडर होकर नारे लगा रहे थे। अपनी तस्वीरें भी खीचवा रहे थे. मानों अब उन्हें प्रशासन और कानून का डर ही खत्म हो गया हो।
दंगों का कारण
पुलिस ने बताया कि ये दंगे उन चार बच्चों की कस्टडी को लेकर हो रहे हैं। जिसमें से एक बच्चे की वजह से उसके चचरे भाई को चोट लग गई और जब उस बच्चे का परिवार उसे इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचा तो अस्पताल प्रशासन की ओर से इसकी जानकारी चाईल्ड केयर एजेंसी को दी। जिसके बाद एजेंसी ने इन चारों बच्चों को अपने साथ ले जाने की बात कहीं तो इसको लेकर विवाद हो गया। क्योंकि इसमें मुस्लिम और गैर- मुस्लिम दोनों समुदाय के परिवार के बच्चे शामिल थे। इसी विवाद ने दंगे का रूप ले लिया और लिड्स शहर में भी भीषण विवाद हुआ। ये दंगे खासकर उन इलाकों में हुए जो इलाके मुस्लिम बहुल्य थे।
कहां हुई सबसे ज्यादा आगजनी?
सबसे ज्यादा आगजनी और तोड़-फोड़ ब्रिटेन के हेरहिल्स इलाके में हुई। जहां मुस्लिम आबादी 39.4 प्रतिशत है। इसाइयों की आबादी 34.84 प्रतिशत है और किसी और अन्य धर्म को लोगों की आबादी 16.38 प्रतिशत है। यानि इस इलाके में मुस्लिम आबादी इसाईयों से भी ज्यादा है और यहां के स्थानिय लोगों का कहना है कि ये दंगे इन्ही मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा किए गए है। इनमें से ज्यादातर वो मुस्लिम लोग हैं। जिन्हें ब्रिटेन ने सेक्युलरिज्म के नाम पर शरण दी थी यानि इनमें से ज्यादातर शरर्णाथी हैं। रिपोर्टस की मानें तो ये ब्रिटेन का वो इलाका भी है जहां सबसे ज्यादा दंगे होते है। जिसके चलते ही अब मुस्लिम समुदाय के लोगों को लेकर तमाम तरीके के सवाल खड़े हो रहे है।
ब्रिटेन ने भारत के मुस्लमानों को लेकर की थी टिप्पणी
ब्रिटेन ने भारत के मुस्लमानों को अल्पसंख्यक बताकर पीड़ित करार दिया था और भारत के समाज को बांटने का प्रयास किया था। लेकिन समय का चक्र आज घुम गया है जहां ब्रिटेन खुद को मुस्लमानों से पीड़ित बता रहा है और कह रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग यहां के मूल निवासियों यानि की इसाईयों पर हावी हो रहे हैं। ये आमतौर पर देखा गया है कि जैसे ही भारत में एसी कोई स्थति बनती है तो तमाम पश्चिमि देश एक टीम का गठन कर रिपोर्ट पेश कर देते है कि हमारें यहां हुई घटना पर उनकी रिपोर्ट क्या कहती है, लेकिन अब उल्टा हो गया है।