भारतीय प्रवासियों की प्रतिनिधि मृदुला घोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा को अहम बताया है. उन्होंने कहा, “जब मध्यस्थता के प्रयास होते हैं, तो अक्सर दोनों पक्ष किसी तीसरे देश की भागीदारी चाहते हैं. ऐतिहासिक रूप से भारत और पाकिस्तान या भारत और चीन के बीच विवादों में मध्यस्थता करने का इच्छुक नहीं रहा है.
इसी तरह, भारत शायद यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थता नहीं करना चाहेगा. कई तौर-तरीकें हो सकते हैं. इस मामले में, मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा खासतौर से पूर्वी यूरोप और सोवियत संघ के बाद के नजरिए से अहम है. इनसे सीधे जुड़ना भारत के लिए मायने रखता है.