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भारत और अमेरिका के बीच विशेष रिश्ते, चिंता की कोई बात नहीं- डोनाल्ड ट्रंप

America: शुल्क और रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका और भारत के मध्य मौजूदा तनाव के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच ‘विशेष संबंध’ हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अपने कार्यालय ‘ओवल ऑफिस’ में शुक्रवार को कहा, ‘‘मैं हमेशा (नरेंद्र) मोदी का दोस्त रहूंगा… वह शानदार प्रधानमंत्री हैं लेकिन मुझे इस समय उनके द्वारा किए जा रहे काम पसंद नहीं आ रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच विशेष संबंध है, चिंता की कोई बात नहीं है। बस कभी-कभी कुछ ऐसे पल आ जाते हैं।’’

राष्ट्रपति इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या वह भारत के साथ संबंधों को फिर से सुधारने के लिए तैयार हैं, क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध पिछले दो दशकों में संभवतः सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह इस बात से बहुत निराश हैं कि भारत रूस से ‘इतना ज्यादा’ तेल खरीद रहा है।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मुझे इस बात से बहुत निराशा हुई है कि भारत रूस से इतना तेल खरीदेगा और मैंने उन्हें यह बता दिया है। हमने भारत पर बहुत ज्यादा शुल्क लगाया है, 50 प्रतिशत शुल्क, बहुत ज्यादा शुल्क। मेरे (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी से बहुत अच्छे रिश्ते हैं, वह बहुत अच्छे हैं। वह कुछ महीने पहले यहां आए थे।’’

ट्रंप से पूछा गया था कि क्या अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पोस्ट में कहा, ‘‘लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य दीर्घकालिक और समृद्ध हो।’’ ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के नेता शी चिनफिंग के साथ मोदी की एक पुरानी तस्वीर भी पोस्ट की थी।

भारत और अन्य देशों के साथ व्यापार वार्ता कैसी चल रही है, इस सवाल पर ट्रंप ने कहा, वे बहुत अच्छी चल रही हैं। दूसरे देश भी अच्छा कर रहे हैं। हम यूरोपीय संघ से नाराज हैं क्योंकि सिर्फ गूगल के साथ ही नहीं, बल्कि हमारी सभी बड़ी कंपनियों के साथ जो हो रहा है, उससे हम नाराज हैं।

इस बीच, ट्रंप प्रशासन के व्यापार और विनिर्माण मामलों के वरिष्ठ सलाहकार, पीटर नवारो ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भारत के सबसे ज्यादा टैरिफ से अमेरिकी नौकरियां खत्म हो रही हैं। नवारो ने कहा कि भारत रूसी तेल सिर्फ मुनाफे और राजस्व के लिए खरीदता है जिससे रूसी युद्ध मशीन चलती है। यूक्रेनियन-रूसी मरते हैं। अमेरिकी करदाताओं को ज्यादा भुगतान करना पड़ता है। भारत सच और झूठ को बर्दाश्त नहीं कर सकता।

राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने कहा कि ट्रंप और उनकी व्यापार टीम इस बात से निराश हैं कि भारत रूस के यूक्रेन युद्ध को फाइनेंस कर रहा है। हैसेट ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि मुझे लगता है कि व्यापार टीम और राष्ट्रपति इस बात से निराश हैं कि भारत रूस के यूक्रेन युद्ध को फाइनेंस कर रहा है और उम्मीद है कि यह एक कूटनीतिक मुद्दा है जिसका जल्द ही सकारात्मक विकास होगा।