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हार्वर्ड पर ट्रंप के नए आदेश ने मचाई हलचल, चिंता और डर में जी रहे अंतरराष्ट्रीय छात्र

USA: बाहर आती एक दमकल गाड़ी, दरवाजे पर दस्तक देता एक मित्र और आपातकालीन प्रतिक्रिया वाहन की लाल और सफेद बत्तियां। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विदेशी छात्रों का एक समूह, जिसमें प्रत्युष रावल और उनके मित्र शामिल थे, 22 मई को यहां पास के सोमरविल शहर में एक घर में इकट्ठा हुए थे।

आमतौर पर सामान्य लगने वाली बातें भी उस दिन उनके बीच सामूहिक चिंता का कारण बन गईं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अचानक देश में रहने की उनकी कानूनी स्थिति को रद्द कर दिया, इसलिए छात्रों ने पूरी रात परेशानी और भय में बिताई। 

अदालतों के हस्तक्षेप से पहले, ये छात्र अगले 24 घंटों तक “आउट-ऑफ-स्टेटस” के रूप में रहे। ये शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो अमेरिका में कानूनी रूप से प्रवेश करते हैं, लेकिन कुछ शर्तों को पूरा न कर पाने के कारण अपनी वैध स्थिति खो देते हैं। 

रावल ने बताया, “तब से एक अजीब सी बेचैनी हमारे आस-पास बनी हुई है। हममें से बहुत से लोग जो छात्र वीजा पर यहां हैं, उनके लिए ये बहुत वास्तविक था। एक झटके में सब कुछ बदल गया। हमें नहीं पता था कि क्या हो रहा है।” रावल कहते हैं कि कुछ मौजूदा छात्र सक्रिय रूप से अपनी डिग्री को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित करने के बारे में सोच रहे थे, कुछ नौकरी की तलाश में थे, लेकिन उन सभी के लिए, “उनके सपने टूट रहे थे”।

होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने छात्र और विनिमय आगंतुक कार्यक्रम के तहत हार्वर्ड प्रमाणन को वापस ले लिया, जिससे विश्वविद्यालय पर नए विदेशी छात्रों को प्रवेश देने पर प्रभावी रूप से रोक लग गई और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय नामांकित छात्रों की कानूनी स्थिति को खतरा पैदा हो गया।

ट्रंप प्रशासन के फैसलों से हार्वर्ड में पढ़ने वाले लगभग 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्रों के जीवन पर असर पड़ रहा है, जहां वे कुल छात्र संख्या का लगभग 27 प्रतिशत हैं। यहां भारतीय मूल के लगभग 800 छात्र हैं। हार्वर्ड ने कहा है कि वो अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा के लिए लड़ेगा।

रावल ने कहा, “मौजूदा छात्रों को नहीं पता कि उन्हें अपनी डिग्री पूरी करने की अनुमति मिलेगी या नहीं। ये उनके जीवन को झकझोर देने वाली बात है। मैं ऐसे कई दोस्तों को जानता हूं जिन्होंने यहां एडमिशन तो ले लिया है लेकिन अब वे इस पर पुनर्विचार कर रहे हैं। इस देश में बहुत अनिश्चितता है...सिर्फ हार्वर्ड के लिए ही नहीं बल्कि आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए भी।” 

निशाना बनाए जाने की आशंका के कारण नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक शोधकर्ता ने कहा, “जब आप काम पर आते हैं तो आप विज्ञान के बारे में सोचते हैं। इनमें से बहुत से आदेश आपका ध्यान काम से हटा देते हैं क्योंकि आप इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि आगे क्या होगा।” उसने कहा, “बहुत मेहनत के बाद यहां तक पहुंचने पर ये चीजें खुशहाल माहौल नहीं बनातीं और लंबे समय में चिंता पैदा करती हैं। शोध में वर्षों लग जाते हैं और यदि आपके सामने बाधाएं हैं, तो ये आपकी यात्रा को कठिन बना देती हैं।