अमेरिकी और चीनी अधिकारियों ने सोमवार को व्यापार युद्ध में 90 दिनों की रोक लगाने पर सहमति जताई। जिसके बाद हाल ही में दोनों पक्षों की ओर से लगाए गए टैरिफ वापस ले लिए गए। अमेरिका चीनी वस्तुओं पर टैरिफ दर को 145 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर देगा, जबकि चीन अपनी टैरिफ दरों को घटाकर 10 फीसदी कर देगा।
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने अपने लगाए गए टैरिफ को 'प्रतिबन्ध के समान' बताया। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इस समझौते को दोनों देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी कदम बताया। अमेरिका की ओर से चीनी वस्तुओं पर लगाया गया नया 30 फीसदी टैरिफ भारतीय उत्पादों पर लगाए गए 27 फीसदी टैरिफ से अधिक है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दो अप्रैल को ‘लिबरेशन डे’ पर दिए भाषण में भारत की ओर से इंपोर्टेड सामान पर टैरिफ को भारत की ओर से अमेरिकी वस्तुओं पर 52 फीसदी टैरिफ लगाने के जवाब में 'एक तरह का पारस्परिक' कदम बताया था ।
इस बीच चीन ने दुर्लभ खनिजों के एक्सपोर्ट कंट्रोल को सख्त कर दिया, जिनमें से कुछ खनिज रक्षा क्षेत्र के लिए जरूरी थे। इसके अलावा चीन ने प्रतिबंधित अमेरिकी कंपनियों की सूची का विस्तार कर दिया। (भारतीय निर्यातकों की बात करें तो खासकर) कपड़ा और दवाइयों के निर्यातकों को लाभ हुआ है, क्योंकि अमेरिकी खरीदार चीनी सामान से दूर हो गए हैं।
हालांकि वाशिंगटन और बीजिंग की ओर से लगाए गए टैरिफ का पूरा प्रभाव अभी सामने आना बाकी है। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पक्ष 90 दिनों के टैरिफ युद्ध विराम के दौरान लंबे समय से चले आ रहे अपने मतभेदों को दूर कर पाते हैं या नहीं।