तमिलनाडु का वेदारणयम शहर नमक उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। तूतुकुडी के बाद राज्य में नमक का सबसे ज्यादा उत्पादन वेदारणयम में ही होता है। लेकिन इस साल लगातार हो रही बेमौसम बारिश से नमक का उत्पादन करने वाले लोगों को तगड़ा झटका लगा है।
वेदारणयम में इस साल 2.5 लाख टन नमक उत्पादन का लक्ष्य था। लेकिन अब तक सिर्फ 25 फीसदी ही उत्पादन हो पाया है, जबकि गर्मी के मौसम में सिर्फ दो महीने बचे हैं। वेदारणयम में अगस्त्यनपल्ली के आसपास के तकरीबन 10,000 एकड़ इलाके में नमक का उत्पादन किया जाता है। गर्मी के मौसम में छह महीने मजदूर यहां खाद्य और औद्योगिक नमक का उत्पादन करते हैं।
नमक के बागान का प्रबंधन ज्यादातर छोटे और सीमांत उत्पादक करते हैं। हर साल वो लगभग 2.5 लाख टन नमक का उत्पादन करते हैं, जो न सिर्फ तमिलनाडु में बल्कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी सप्लाई किया जाता है।
नमक उत्पादन का पीक सीजन मार्च से जून तक होता है। हालांकि, इस साल बेमौसम बारिश की वजह से मार्च की शुरुआत से ही उत्पादन बाधित हो गया था। अप्रैल के महीने में भी सिर्फ 20 दिन ही काम चला। मई में भी पूरे महीने बारिश से उत्पादन ठप रहा।
हालांकि, जून के महीने में श्रमिकों ने काम करना फिर से शुरू किया, लेकिन बारिश की वजह से उनके नमक के भंडारों को नुकसान पहुंचा है। जानकारों का कहना है कि अगर बारिश अभी रुक भी जाती है तोभी उन्हें क्रिस्टलीकरण प्रोसेस फिर से शुरू करने के लिए 20 दिन का समय और लगेगा।
गर्मी का सीजन खत्म होने में सिर्फ दो महीने बचे हैं। ऐसे में नमक उत्पादकों की चिंता बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि उत्पादन कम होने से खाद्य और औद्योगिक नमक की कमी हो सकती है, जिससे आने वाले महीनों में कीमतों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। सिर्फ उत्पादक ही नहीं, बल्कि नमक बनाने वाले करीब 10 हजार मजदूर भी इस संकट से गुजर रहे हैं। बेरोजगारी के साथ-साथ उनको आमदनी में कमी का सामना करना पड़ रहा है।