इस प्रौद्योगिकी संगोष्ठी में सेवा मुख्यालय, डीआरडीओ, ओईएम/उद्योग साझेदारों और प्रतिष्ठित शिक्षाविदों सहित विशेषज्ञों का समागम हुआ, जिन्होंने नवीन समाधानों, सहयोग और साझेदारी के लिए प्रभावी रणनीतियों की पहचान करने का मार्ग प्रशस्त किया। इन संयुक्त प्रयासों से 'आत्मनिर्भरता' को समर्थन मिलेगा और यह सुनिश्चित होगा कि रक्षा क्षमताएँ विकसित होती हुई चुनौतियों के अनुरूप सशक्त और अनुकूल बनी रहें। इस दो दिवसीय संगोष्ठी ने ईएमई स्कूल, वडोदरा को उच्च क्षमता वाले हथियार प्रणालियों, लघु शस्त्रों, एसडब्ल्यूआईआर प्रौद्योगिकी आधारित ऑप्ट्रोनिक्स और अंतरिक्षजनित इमेजिंग सेंसर में तकनीकी पहलों को आत्मसात करने का अनूठा अवसर प्रदान किया, जो भविष्य की प्रौद्योगिकियों के दोहन और स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
संगोष्ठी की शुरुआत 13 फरवरी 2025 को लेफ्टिनेंट जनरल नीरज वार्ष्णेय, वीएसएम, कमांडेंट, एमसीईएमई द्वारा उद्घाटन भाषण और लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा, पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम, जीओसी-इन-सी, एआरटीआरएसी द्वारा मुख्य भाषण से हुई। इसके बाद 14 फरवरी 2025 को लेफ्टिनेंट जनरल विनीत गौड़, पीवीएसएम, एवीएसएम, महानिदेशक क्षमता विकास द्वारा प्लेनरी संबोधन दिया गया, जिसने पूरे संगोष्ठी को अत्यंत प्रभावी प्रेरणा प्रदान की। कुल 18 प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अकादमिक, उद्योग, अनुसंधान एवं विकास संगठनों और भारतीय सेना के दृष्टिकोण से आयुध और ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में उभरते वैश्विक रुझानों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। संगोष्ठी का भारतीय सेना के प्रशिक्षण संस्थानों में सीधा प्रसारण किया गया, जिसका उद्देश्य उन युवा मस्तिष्कों को प्रेरित करना था, जो युद्ध तकनीक में नई प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने के लिए उत्तरदायी होंगे और इस 'परिवर्तन के दशक' में सैन्य मामलों में क्रांति के स्तंभ बनेंगे तथा विकसित भारत-2047 के आधारस्तंभ साबित होंगे।
संगोष्ठी एक उच्च उत्साह के साथ संपन्न हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य अनुसंधान और विकास, प्रौद्योगिकी आत्मसात करने तथा भारतीय सेना के आयुध और ऑप्ट्रोनिक्स सिस्टम की स्थिरता के लिए बेहतर सहयोग स्थापित करना था, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों में हो रहे परिवर्तन को सक्षम बनाया जा सके।