सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है, जिसमें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के एक प्रोविजन को चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया कि ये वोटरों को केवल एक उम्मीदवार होने पर ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) का विकल्प चुनने से रोकता है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आई याचिका में अधिनियम की धारा 53 (2) को चुनौती दी गई है।
धारा 53 चुनाव लड़ने और निर्विरोध चुने जाने की प्रक्रिया के संबंध में है और धारा 53 (2) कहती है कि यदि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या भरी जाने वाली सीटों की संख्या के बराबर है, तो चुनाव अधिकारी ऐसे सभी उम्मीदवारों को उन सीट पर निर्वाचित घोषित करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके उनके जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले में याचिकाकर्ता कानूनी थिंक-टैंक ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ की ओर से सीनियर वकील अरविंद दातार और वकील हर्ष पाराशर सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटा से जुड़ी याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब
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