भारत ने बांग्लादेश से रेडीमेड कपड़ों का आयात अब सिर्फ दो बंदरगाहों न्हावा शेवा और कोलकाता पोर्ट तक सीमित कर दिया है, जिसका सीधा असर पूर्वोत्तर के 11 भूमि बंदरगाहों से आयात पर पड़ेगा। मतलब ये कि बांग्लादेश अब भूमि बंदरगाहों की बजाए समुद्री बंदरगाहों के जरिए ही निर्यात कर पाएगा। बीते शनिवार को बांग्लादेश से आयातित कई तरह के सामानों को इन बंदरगाहों पर प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसमें प्लास्टिक, फर्नीचर, प्रोसेस्ड फूड, बेवरेज, कपास और यार्न वेस्ट शामिल हैं।
भारत की ओर से उठाए गए इस कदम से बांग्लादेश को काफी नुकसान होगा। भूमि बंदरगाहों पर प्रतिबंध से निर्यातकों और उपभोक्ताओं दोनों पर असर पड़ेगा। ये कदम भारत सरकार के 2020 में दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस लेने के बाद उठाया गया है। इसे भारतीय वस्तुओं पर ढाका द्वारा लगाए गई प्रतिबंधों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन भारत के इस प्रतिबंध से उसकी सप्लाई चेन पर भी असर पड़ सकता है। खास तौर से पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सीमा व्यापार गड़बड़ा सकता है।
वहीं, कुछ लोगों का तर्क है कि ये प्रतिबंध भारत के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा दे सकते हैं। जबकि कुछ लोगों को कहना है कि इससे परिवहन की लागत बढ़ेगी क्योंकि आयातित वस्तुओं को दूर के समुद्री बंदरगाहों से लाना पड़ेगा। सीमावर्ती इलाकों के कारोबार को भी मंदी का सामना करना पड़ सकता है।