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भारत-अमेरिका व्यापार समझौते अब 'बहुत दूर नहीं', अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर ने दिया संकेत

भारत में अमेरिका के नामित राजदूत सर्जियो गोर ने गुरुवार को कहा कि भारत की संरक्षणवादी नीतियों और नियामक बाधाओं ने वाशिंगटन को दिल्ली के साथ अपनी साझेदारी को तय करने से रोक दिया है और अगर उनकी नियुक्ति भारत में हो जाती है तो वो निष्पक्ष, पारस्परिक और अमेरिकियों के लिए लाभकारी व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे। सीनेट की विदेश संबंध समिति में अपनी पुष्टिकरण सुनवाई के दौरान गोर ने ये भी कहा कि भारत और अमेरिका अभी व्यापार समझौते पर "बहुत दूर नहीं" हैं।

उन्होंने कहा, "भारत एक रणनीतिक साझेदार है, जिसके रास्ते इस क्षेत्र और उससे आगे के क्षेत्र को आकार देंगे।" उन्होंने इस "महत्वपूर्ण" साझेदारी में अमेरिका के हितों को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। गोर ने कहा, "इसमें उम्मीद भरा व्यापार समझौता भी शामिल होगा। अभी हम समझौते को लेकर बहुत दूर नहीं हैं। दरअसल, वे सौदे की बारीकियों पर बातचीत कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हम भारत से कभी-कभी दूसरे देशों से ज़्यादा उम्मीद करते हैं। मुझे लगता है कि अगले कुछ हफ़्तों में ये मामला सुलझ जाएगा।" गोर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि राष्ट्रपति ट्रंप की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ "गहरी दोस्ती" है, और ये अनोखी बात है।

उन्होंने कहा, "दरअसल, अगर आपने गौर किया हो, तो जब भी वो दूसरे देशों पर हमला करते हैं, तो वो हमें उस स्थिति में डालने और अमेरिका द्वारा उन पर टैरिफ लगाने के लिए उनके नेताओं पर हमला करते हैं। जब राष्ट्रपति भारत की आलोचना करते हैं, तो वो प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ करते हैं। उनके बीच ये एक अद्भुत रिश्ता है।" उन्होंने फिर ज़ोर देकर कहा, "इन टैरिफ पर किसी समझौते को लेकर हम पहले से ही बहुत दूर नहीं हैं... भारत को रूसी तेल खरीदना बंद करवाना अमेरिकी प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है।" गोर ने कहा, "मुझे लगता है कि अगले कुछ सप्ताहों में या अगले कुछ महीनों में इन सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा।"

इस बात का जिक्र करते हुए कि भारत और अमेरिका अभी सक्रिय रूप से बातचीत कर रहे हैं, गोर ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले सप्ताह अपने वाणिज्य और व्यापार मंत्रियों को बुलाया है और वे वाशिंगटन में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि राजदूत जैमीसन ग्रीर से मुलाकात करेंगे। गोर ने कहा कि अतीत में भारत की "संरक्षणवादी नीतियों और नियामक बाधाओं ने हमें इस साझेदारी को पूरा करने से रोका है। अगर मेरी नियुक्ति हो जाती है, तो मैं निष्पक्ष, पारस्परिक और अमेरिकी कामगारों व व्यवसायों के लिए लाभकारी व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए काम करूँगा।"

गोर ने कहा, "अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में सुधार से न केवल अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी बल्कि दूसरे देशों पर चीन का आर्थिक प्रभाव भी कम होगा।" उन्होंने कहा, "अगर मेरी नियुक्ति हो जाती है, तो मैं भारत को अमेरिकी ऊर्जा निर्यात बढ़ाने के लिए काम करूँगा, जिससे अमेरिका कच्चे तेल, पेट्रोलियम उत्पादों और तरलीकृत प्राकृतिक गैस का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन जाएगा।"

अगर भारत में 38 साल के गोर की नियुक्ति बतौर अमेरिकी राजदूत होती है तो वो भारत में सबसे कम उम्र के अमेरिकी राजदूत होंगे। उन्होंने कहा, "क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। एक स्थिर दक्षिण एशिया अमेरिका और सभी देशों के हित में है।" उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका-भारत साझेदारी 21वीं सदी को परिभाषित करेगी।

गोर ने कहा, "केवल साथ मिलकर काम करके ही हम इस आकांक्षा को साकार कर सकते हैं।" उन्होंने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक विकास और सैन्य क्षमताएँ इसे क्षेत्रीय स्थिरता की "आधारशिला" बनाती हैं और दोनों देशों के साझा सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने और समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर उनकी नियुक्ति की पुष्टि हो जाती है, तो वे भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत करने को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा, "इसमें संयुक्त सैन्य अभ्यासों का विस्तार, रक्षा प्रणालियों के सह-विकास और सह-उत्पादन को आगे बढ़ाना और महत्वपूर्ण रक्षा बिक्री को पूरा करना शामिल है।"

गोर ने आगे कहा कि ये प्रयास "हमारी सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाएँगे और साथ ही अमेरिकी रक्षा निर्माताओं का समर्थन करेंगे और अमेरिका को और समृद्ध बनाएंगे।" उन्होंने कहा कि एआई से लेकर फार्मास्यूटिकल्स और महत्वपूर्ण खनिजों तक दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार संभावनाएँ हैं। गोर ने आगे कहा कि वे ऐसे सुधारों की वकालत करेंगे जो भारत के बाजारों को और अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाएँ।

उन्होंने कहा, "मैं राष्ट्रपति ट्रंप के महत्वाकांक्षी लक्ष्य, जिसे 'मिशन 500' कहा जाता है, उसके लिए भी काम करूँगा, जिसके तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक पहुँचाना है। इससे अमेरिकी निर्यात बढ़ेगा, हमारे नागरिकों को रोज़गार मिलेगा।" गोर ने कहा, "मैं राष्ट्रपति के एजेंडे को पूरा करने और हमारे रक्षा सहयोग को बढ़ाकर, निष्पक्ष और लाभकारी व्यापार सुनिश्चित करके, ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करके और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाकर अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए काम करूँगा।"

उन्होंने कहा कि वो अमेरिकी विनिर्माण क्षमता में भारतीय निवेश को प्रोत्साहित करेंगे और "हम अमेरिका में भारतीय निवेश को भी आगे बढ़ाएंगे। हम अपनी रणनीतिक दवा आपूर्ति श्रृंखला को भी आगे बढ़ाएंगे और यहीं अमेरिका में और अधिक नौकरियां पैदा करेंगे।" भारत जरूरी और उभरती प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में एक रणनीतिक साझेदार भी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फरवरी में शुरू की गई यूएस-इंडिया ट्रस्ट पहल, एआई, क्वांटम, सेमीकंडक्टर और अन्य महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास में चीन को पछाड़ने के लिए अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र की प्रभावशाली क्षमता का लाभ उठाने का रास्ता खोलती है।

उन्होंने कहा कि वो इस प्रशासन की एआई एक्शन प्लान को भी आगे बढ़ाएंगे, जो भारत और वैश्विक स्तर पर अमेरिकी एआई प्रौद्योगिकी के प्रभुत्व को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच चीन की तुलना में कहीं ज़्यादा समानताएँ हैं और "बहुत लंबे समय से हमारे बीच व्यक्तिगत संपर्क नहीं रहा है और न केवल मैं इसे भारत तक पहुँचा पाऊँगा, बल्कि राष्ट्रपति भी व्यक्तिगत रूप से बेहद जुड़े हुए हैं।"

गोर ने कहा, "हालाँकि अभी हमारे सामने कुछ अड़चनें आ सकती हैं, लेकिन हम उन्हें सुलझाने की राह पर हैं। भारत सरकार और भारत के लोगों के साथ हमारे रिश्ते कई दशकों पुराने हैं, और चीन के साथ हमारे रिश्ते कहीं ज़्यादा मधुर हैं।" उन्होंने कहा, "सच कहूं तो, वे (भारत) चीनी विस्तारवाद से चिंतित हैं और चीनी विस्तारवाद सिर्फ़ भारत की सीमा पर ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में है।"

उन्होंने आगे कहा कि अगर उनकी नियुक्ति की पुष्टि हो जाती है, तो वो इसे "सर्वोच्च प्राथमिकता" देंगे कि भारत को अपनी सीमा में खींचा जाए और उनसे (चीन से) दूर किया जाए। गोर ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए ट्रंप की प्रशंसात्मक टिप्पणियों का ज़िक्र किया और कहा कि भारतीय नेता ने भी उसी तरह जवाब दिया। उन्होंने कहा, "हमारे पास एक मज़बूत बुनियाद है, और मुझे उम्मीद है कि अगर मेरी नियुक्ति की पुष्टि हो जाती है, तो हम इस पर और मज़बूती से काम करेंगे।"

ब्रिक्स पर एक सवाल के जवाब में गोर ने कहा, "ब्रिक्स के भीतर कई मुद्दों पर भारतीय हमारे साथ रहे हैं, जिनमें ब्रिक्स के कई देश शामिल हैं। ब्राज़ील और चीन, जो सालों से अमेरिकी डॉलर से दूर जाने पर ज़ोर दे रहे हैं। भारत इसमें एक अस्थायी उपाय रहा है। भारत ब्रिक्स के अन्य देशों की तुलना में हमारे साथ जुड़ने के लिए कहीं ज़्यादा इच्छुक और खुला है।"

भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने और अमेरिकी टैरिफ और अमेरिका के रणनीतिक लक्ष्यों के मद्देनज़र भारत के फैसले को लेकर पूछे गए सवाल पर गोर ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं। गोर ने कहा, "उन्हें रूसी तेल ख़रीदना बंद करना होगा।"