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पॉक्सो मामले में येदियुरप्पा को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर लगाई रोक

Delhi: उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के खिलाफ पॉक्सो कानून के तहत दायर यौन उत्पीड़न मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर मंगलवार को रोक लगा दी। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने यदियुरप्पा की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया जिसमें उन्होंने मामले को रद्द करने से इनकार संबंधी कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए। इस बीच निचली अदालत की कार्यवाही स्थगित रहेगी।’’

येदियुरप्पा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उच्च न्यायालय ने ‘‘महत्वपूर्ण साक्ष्यों की उपेक्षा की’’ और उन बयानों पर ध्यान नहीं दिया जिनसे यह संकेत मिलता है कि कथित घटना के दौरान ‘ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।’ लूथरा ने कहा, ‘‘ कुछ बयान ऐसे हैं जिन्हें अभियोजन पक्ष ने दबा दिया… उच्च न्यायालय ने तथ्यों को अनदेखा कर दिया। वह चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप उच्च न्यायालय को ‘मिनी ट्रायल के लिए कैसे बाध्य कर सकते हैं?।’’ पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण) अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी 14 मार्च 2024 को दर्ज की गई उस शिकायत से उत्पन्न हुई है, जिसमें एक महिला (अब दिवंगत) ने आरोप लगाया था कि येदियुरप्पा ने उनकी 17 वर्षीय बेटी से उस वक्त छेड़छाड़ की थी जब वे सहायता मांगने के लिए उनके आवास पर गई थीं। महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने पैसे की पेशकश कर घटना को दबाने की कोशिश की।

उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस ने पॉक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की। बाद में चार जुलाई 2024 को एक निचली अदालत ने न केवल येदियुरप्पा के खिलाफ, बल्कि तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी साक्ष्य नष्ट करने और मामले को दबाने के प्रयास के आरोपों पर संज्ञान लिया।

इसके बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस संज्ञान आदेश को ‘अस्पष्ट’ बताते हुए रद्द कर दिया और निचली अदालत को पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। इसके बाद 28 फरवरी को त्वरित विशेष अदालत ने एक नया संज्ञान आदेश जारी किया और येदियुरप्पा तथा अन्य आरोपियों को 15 मार्च को पेश होने के लिए तलब किया।

येदियुरप्पा ने 28 फरवरी के इस आदेश और शिकायत को उच्च न्यायालय में चुनौती दी और कहा कि आरोप राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित और असंगत हैं। हालाकि, उच्च न्यायालय ने पिछले महीने मामला रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया।