दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की उन याचिकाओं पर 28 अप्रैल से पहले सुनवाई करने से इनकार दिया, जिसमें दोनों ने आईएनएक्स मीडिया से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने पर बहस टालने का अनुरोध किया है।न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा ने स्पष्ट किया कि अदालत निर्धारित तिथि 28 अप्रैल को ही मामले पर सुनवाई करेगी। उन्होंने कहा कि पक्षकार निचली अदालत से 22 अप्रैल को उसके समक्ष होने वाली सुनवाई को स्थगित करने का अनुरोध कर सकते हैं। न्यायमूर्ति डुडेजा ने कहा कि निर्धारित तिथि से पहले सुनवाई करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “28 (अप्रैल) ज्यादा दूर नहीं है। हम मामले पर सुनवाई करेंगे। याचिकाओं पर सुनवाई तय तारीख को दोपहर साढ़े तीन बजे होगी।”
चिदंबरम पिता-पुत्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता अक्षत गुप्ता ने कहा कि आरोप तय करने के मुद्दे पर निचली अदालत में 22 अप्रैल को सुनवाई होनी है और उनकी दलीलें बेकार हो जाएंगी। लूथरा और गुप्ता ने दलील दी कि जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच अभी पूरी नहीं हुई है, तो ऐसे में आरोपों के पहलू पर बहस करना संभव नहीं है। उन्होंने अदालत से कार्यवाही पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह किया। लूथरा ने पिछली सुनवाई का हवाला दिया, जब निचली अदालत ने मौजूदा चरण में कार्यवाही स्थगित करने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उच्च न्यायालय की ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं है।
सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया समूह से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में पी चिदंबरम और कार्ति के खिलाफ 15 मई 2017 को मामला दर्ज किया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि 2007 में पी चिदंबरम के वित्त मंत्री कार्यकाल के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये की विदेशी निधि प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में अनियमितताएं बरती गईं। उच्च न्यायालय ने 18 नवंबर 2024 को सीबीआई से मामले में आरोप तय करने पर बहस टालने के अनुरोध वाली चिदंबरम पिता-पुत्र की याचिकाओं पर अपना रुख साफ करने को कहा था। सीबीआई के वकील ने दावा किया था कि मामले में एफआईपीबी मंजूरी के लिए रिश्वत की मांग को साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है। उन्होंने कहा था कि किसी लंबित जांच के कारण आरोप तय करने के मुद्दे पर बहस रोकी नहीं जानी चाहिए। उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिकाओं में चिदंबरम पिता-पुत्र ने आरोप तय करने पर बहस टालने से इनकार करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है।
याचिकाओं में दलील दी गई है कि मामले में सीबीआई की ओर से दायर आरोपपत्र अधूरा है और आरोपी व्यक्तियों को एजेंसी की ओर से जुटाई गई सभी सामग्री तक पहुंच अभी तक नहीं दी गई है, क्योंकि कुछ पहलुओं पर जांच जारी है। कार्ति ने अपनी याचिका में कहा है कि आरोप तय करने पर विचार करने से पहले आगे की जांच पूरी करने की जरूरत संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उन्हें हासिल निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को प्रभावित करती है। कथित अपराध को हुए 17 साल से ज्यादा समय बीत चुका है और जांच को शुरू हुए भी लगभग सात साल गुजर चुके हैं, फिर भी आज की तारीख में आगे की जांच लंबित है।
सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पी चिदंबरम को 21 अगस्त 2019 को गिरफ्तार किया था। उसी साल 16 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें संबंधित धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। छह दिन बाद 22 अक्टूबर 2019 को उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई की ओर से दर्ज मामले में चिदंबरम को जमानत दे दी थी। ईडी के मामले में उन्हें चार दिसंबर 2019 को जमानत मिली थी। कार्ति को सीबीआई ने फरवरी 2018 में आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था। अदालत ने उन्हें मार्च 2018 में जमानत दे दी थी।