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महिलाओं के लिए वरदान बना स्वयं सहायता समूह, मशरूम की पैदावार से कर रही अच्छी कमाई

उत्तर प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. शाहजहांपुर जनपद की अगर बात की जाए तो यहां राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत ग्रामीण स्वयं सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन रही हैं. ग्रामीण स्वयं सहायता समूह की महिलाएं वर्तमान में मशरूम की खेती कर मोटी कमाई कर रही हैं. और इसके लिए समूह से जुड़ी महिलाएं उत्तर प्रदेश की सरकार के मुखिया योगी जी का धन्यवाद करती हैं। 

शाहजहांपुर जनपद में उत्तर प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की हकीकत रखने के लिए Network10 की टीम भावलखेड़ा ब्लॉक के गांव अहमदनगर पहुंची. जहां उपरोक्त योजना से जुड़ी ग्रामीण स्वयं सहायता समूह की सचिव सुगरा बी जो कि मुस्लिम समाज से आती हैं. समूह की अध्यक्ष नीलम द्वारा समूह का गठन किया गया जिसमें सचिव पद की जिम्मेदारी सुगरा बी को सौंपी गई. ग्रामीण स्वयं सहायता समूह अहमदनगर में जब Network10 के संवाददाता अरविन्द त्रिपाठी ने स्वयं सहायता समूह की सचिव सुगरा बी से समूह के द्वारा किए जा रहे कार्यों के संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे समूह में 10 घरेलू कामकाजी महिलाएं जुड़ी हुई हैं. जिन्हें समूह के माध्यम से जो धनराशि बैंक द्वारा दी जाती है उसे समूह से जुड़ी महिलाएं अपने-अपने कार्यों के हिसाब से आपस में बांट लेती हैं और अपनी आजीविका के लिए विभिन्न कार्य जैसे मशरूम की पैदावार, बकरी पालन, जरी जरदोजी, गाय भैंस पालन, ब्यूटीशियन आदि के कार्य महिलाएं करती हैं. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समूह से जुड़ी महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी जाती है इसके बाद बैंक द्वारा प्राप्त धनराशि से महिलाएं अपने-अपने कार्य करती हैं जिनसे अच्छी खासी बचत होती है. 

ग्रामीण स्वयं सहायता समूह अहमदनगर की सचिव सुगरा बी अपने घर में ही किचन रूम आदि छोटी-छोटी जगहों पर मशरूम का उत्पादन करती हैं. सुगरा बी ने बताया कि कैसे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है. सुगरा बी का कहना है कि मशरूम उत्पादन के लिए बहुत ज्यादा जगह की आवश्यकता नहीं है अपने घर मकान में ही महिलाएं छोटे-छोटे स्थान जो दैनिक उपयोग में नहीं आते हैं उनका उपयोग करके मशरूम का उत्पादन कर सकती हैं. उन्होंने बताया कि वह मशरूम की खेती के लिए भूसे और मशरूम के बीज से लगभग 25 सौ रुपए से तीन हजार की लागत लगाकर 30 से 40 हजार रुपए का मशरूम तैयार करती हैं. स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किया गया मशरूम क्षेत्रीय बाजारों सहित महानगर की बाजार में आसानी से बिक्री हो जाता है. सुगरा बी का कहना है कि इस समय वह दो वैरायटी का मशरूम तैयार करती हैं जिसे आश्टर और बटन दो तरीके का मशरूम तैयार करती हैं. आश्टर मशरूम की ज्यादा डिमांड रहती है क्योंकि वह खाने में स्वादिष्ट और डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को भी जागरूक कर उन्हें रोजगार से जोड़ने में जुटी हुई है।