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मुकेशजी के परिवार में कला की पूजा है – नितिन मुकेश

गायक मुकेश की यह जन्मशती है। आज के दिन 27 अगस्त 1976 को ड्रेटाइट में मुकेश का निधन हुआ था। भारतीय फिल्म संगीत में बहुत कुछ बदला , पर उस आवाज आज भी फिल्मी गीत सुनने वाले श्रोताओं के मन में बसी है। बस मुकेश का कोई गीत सुनने को मिलता है। सब कुछ एक ठहर सा जाता है। मंत्रमुग्ध करती वो आवाज और वो तराने फिल्म संगीत की धरोहर है। मुकेश जब लताजी के साथ कनाडा और अमेरिका के संगीत टूर के लिए रवाना हुए थे तो उनके बेटे नितिन मुकेश भी उनके साथ थे। वक्त गुजर गया लेकिन यादों के समुंदर में बहुत कुछ है। विख्यात गायक मुकेश के बेटे नितिन मुकेश ने भी पिता के पदचिन्हों पर चलकर भारतीय फिल्म संगीत में  कई अच्छे गीत गाए हैं। मुकेशजी से जुड़े यादों के सफर में नितिन मुकेश से कुछ बातें..

प्रश्न – नितिन जी  दिलचस्प होगा कि मुकेशजी से जुड़ी कुछ यादें आप हमसे साझा करें। 
जवाब – मुकेश जी , गायन के लिए समर्पित थे। वो गायक भी थे और बहुत अध्यात्मिक भी थे। बहुत सुबह उठ जाते थे हारमोनियम में रियाज करते थे। वो समय हमें बहुत अच्छा लगता था।  फिर वो  हैंगिग गार्डन घूमने जाते थे। कई बार मैं साथ में होता तो देखता कि फूलों को करीब से देखते थे । हमारे घर में गीत संगीत था । मैं हमेशा देखता था कि वह अपने नए गीत की रिकार्डिंग से पहले बहुत रियाज करते थे। बहुत आसानी से वो संतुष्ट नहीं होते थे। जब पापा थे जो घर में लोग उनसे मिलने आते थे। केवल गीत संगीत फिल्म से जुड़े लोग ही नहीं । दूसरे क्षेत्रों से जुड़े लोग भी। क्रिकेट के विख्यात स्पिनर चंद्रशेखर भी अगर मुंबई में हों तो पापा से मिलने आते थे। पापा उनसे कहते अरे आप के पीछे दुनिया है। आपके पास इतना समय कहां कि मिलने आ सको। उनका जवाब होता मुकेशजी मेरे पीछे सारी दुनिया और मैं आपके पीछे। वो समय बहुत अच्छा था। बहुत सी यादें हैं। सच कहूं तो मेरा सौभाग्य था कि मैं उनका बेटा हूं। आज भी लोगों का मुकेशजी के स्नेह दिखता है। इतने समय के बाद भी लोग उनके गीतों को सुन रहे हैं।  

सवाल – हर गायक का अपना एक अंदाज होता है । मुकेशजी के गायन की कौन सी चीज आपको अपील करती है।
जवाब –उनकी आवाज में जो दर्द था वो जिस भी गीत को गाते थे वो मन में उतरता था। शब्दों पर गीतों पर बहुत ध्यान देते थे। हंर संगीतकार के लिए उन्होंने गाया। उन्होंने बहुत जिंदगी के उतार चढ़ाव देखे। वो सब उनकी गायन में आया। मैं देखता था कि स्टेज कार्यक्रम में लोग उनसे बहुत गीतों की फरमाइश करते थे। वो क्षण मुझे आज भी याद आते हैं। पापा बहुत मन से गाते थे। 


सवाल –कनाडा अमेरिका के उनके आखरी कार्यक्रम में भी आप भी साथ थे। एक लंबा वक्त गुजरा है। इस गुजरे वक्त को आपने किस तरह महसूस किया । खासकर तब जबकि मुकेशजी की आवाज हर रह रहकर गूंजती हैं।  


जवाब – पापा के नाम पर होने वाले गीतों के कार्यक्रम में बहुत लोग उमड़ते थे। और कई बार संगीतकारों के भी आयोजन होते थे। मुकेशजी दूसरे गायक गायिकाओं के साथ भी अपने गीतों को गाते थे। मैंने महसूस किया कि लोगों के मन में मुकेशजी की यादें है। इतना कहूंगा कि लोग उन्हें चाहते हैं। कई बड़े आज भी मेरे सिर पर हाथ रख देते हैं । यही नहीं आज के समय भी लोग उनके गीतों को सुनते हैं। देखता हूं अच्छी तकनीक के इस दौर में मुकेश के गीतों को सामने लाने की कोशिश होती है। और ऐसे संगीत के श्रोता भी है जिन्होंने मुकेशजी कोकभी देखा नहीं लेकिन वो उनके गीतों को सुनना चाहते हैं। वो मुकेशजी के गीतों को सुनने की फरमाइश करते हैं। बहुत अच्छा लगता है। 

सवाल –  कुंदन लाल सहगल के गीतों को गाते हुए मुकेश जी स्वयं में एक बड़े गायक बन गए । वो अपने किन गायक गायिकाओं को सुनना पंसद करते थे। 


जवाब – आपने सही कहा  मुकेशजी फिल्म संगीत में आने से पहले कुंदन लाल सहगल के बहुत बड़े प्रशंसक थे। 
मैंने हमेशा पापा से  अपने समकालीन गायकों की प्रशंसा करते हुए सुना। रफीजी हों या किशोर कुमार कोई गीत सुनते फिर उन्हें फोन करते थे। कितना अच्छा गाया । काश मैं इस गीत को गाता। एक बात जरूर बताऊंगा। पापा जब भी लताजी का कोई गीत सुनते थे तो अपनी आंख बंद कर लेते हैं। हमसे कहते थे लताजी को सुनना आराधना करने जैसा है। और लताजी ही हैं जिन्होंने मेरे बेटे का नाम नील रखा है। चंद्रमा पर कदम रखने वाले नील आमस्ट्रांग से मैं बहुत प्रभावित था। लताजी इस बात को जानती थी।  हां पापा शास्त्रीय संगीत के गायकों को बहुत सम्मान देते थे। बहुत गौर से सुनते थे।  मेरे बेटे का नाम 

सवाल – राज कपूर ने कहा था कि मुकेशजी मेरी आवाज है। आपने तो वो क्षण देखे होंगे  गीतों को बनते, संगीत में उन्हें सजते , रियाज होते । वो सब आप किस तरह अपनी यादों में समेटे हैं। 

 जवाब – बहुत से गीत हैं जिनकी तैयारी होते मैंने अपनी आंखों के सामने देखी। लेकिन हर बार ये संभव नहीं था कि मैं वहां जाऊं। फिर भी बहुत से गीतों की यादें जुड़ी हैं।  पापा राज अंकल  शेलैंद्रजी  शंकर जयकिशन जी जब कोई बड़ी सेलिब्रेट करते थे  हम समझ जाते थे कि कोई नया गीत हिट हो गया है। राज कपूर जी का तो अंदाज ही अलग था। वो हर गीत को जीते थे। पापा वैसे भी चाहते थे कि मैं बहुत अच्छी पढाई करू। उन्होंने मुझे बहुत अच्छे स्कूल में दाखिला करवाया। हां संगीत सीखने के लिए भी उन्होंने मुझे जगन्नाथजी के पास भेजा। राज जी और पापा बहुत अच्छे दोस्त थे। हमारा पारिवारिक रिश्ता था। बहुत अच्छे थे वो दिन । पापा के गुजरने के बाद राज कपूरजी बहुत मायूस हुए थे। बहुत स्नेह रहा है राज जी का हमारे ऊपर। 

सवाल – नितिनजी कहा जाता है कि पहली नजर का दिल जलता है तो जलने दे  गीत मुकेशजी का पहला गीत है लेकिन कुछ समीक्षाएं ऐसी भी आई हैं जिसमें निर्दोष का  दिल ही बुझा हुआ हो फस्ल ए बहार क्या को पहला गीत बताते हैं। 

नितिन – पापा हमसे यही कहते थे कि पहली नजर का दिल जलता है तो जलने दे गीत उनका पहला गाना है। पापा ने शुरुआती गीत सहगलजी की शैली में ही गाए। तब लोगों को लगा था कि यह गीत सहगल ने गाया है। पापा बताते थे कि सहगल इस गीत को सुनकर बहुत खुश हुए थे। उन्होंने मुकेशजी को आशीर्वाद दिया था। 

सवाल – आप मुकेशजी के वो गीत जो आपको बहुत पसंद हो । 
 जवाब – कैसे चुनू कुछ गीत । पर एक बात कहूंगा कि अपने आखरी प्रोग्राम में वो जाने कहां गए वो दिन गीत सुना रहे थे। उन्होंने मुझे इशारा किया ,और कहा इसके आगे की पंक्ति तुम गाओ। उनकी तबियत ठीक नहीं थी। उनके गीत को मैं भी गाया करता था। लेकिन मुझसे कहते थे कि रफीजी और किशोर दा के गीतों को गाओ। 

सवाल – नितिनजी कहा जाता है कि मुकेशजी अपने जीवन पर आत्मकथा लिखना चाहते थे। लेकिन उनके मन की यह बात अधूरी रही। 
जवाब – अपनी आत्मकथा लिखनेकी बात उन्होंने मुझसे तो नहीं कही। लेकिन मैंने भी किसी जगह इस बारे में पढा था। ले वो हर बात को बहुत गहराई से देखते समझते थे। मुझे याद है गीतकार शैलेद्र ने एकबार उन्हें उनके जन्मदिन  पर बहुत खूबसूरत पैन गिफ्ट किया था। वो अपनी आत्मकथा तो नहीं लिख पाए लेकिन वो अमेरिका जाने से पहले रामचरित मानस के सातों खंड का गायन पूरा कर चुके थे। और सत्यम शिवम सुंदरम के आखरी गीत की रिकार्डिग भी कर चुके थे। आज मुकेश परिवार रोज सुबह मुकेशजी का गाए रामचरित मानस का स्वर गूंजता है। मुकेशजी ने कला के जिस स्तर को छुआ है। वह हमारे लिए प्रेरणा है। मैंने भी फिल्म गीत गाए, नील नितिन मुकेश अभिनय की दुनिया में चर्चित है। हमारे परिवार में कला की पूजा होती है। लोगों का प्यार हमारे ऊपर उमडा है। मुकेशजी को लोगों ने जो सम्मान दिया है , मुकेश परिवार उसके लिए आभार जताता है।