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बिहार: लोक गायिका शारदा सिन्हा का राजकीय सम्मान के साथ पटना के गुलबी घाट पर हुआ अंतिम संस्कार

बिहार की मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का गुरुवार को राजकीय सम्मान के साथ पटना के गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार हुआ। ‘बिहार कोकिला’ के नाम से जानी जाने वाली लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 साल की उम्र में मंगलवार रात दिल्ली के एम्स में निधन हो गया।

अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर को पटना में उनके राजेंद्र नगर घर (कंकड़बाग के पास) में रखा गया है, जहां उनके चाहने वाले और शुभचिंतकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं को राज्य की सीमाओं से बाहर भी लोकप्रिय बनाने वालीं शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख गीतों में ‘‘छठी मैया आई ना दुआरिया’’, ‘‘कार्तिक मास इजोरिया’’, ‘‘द्वार छेकाई’’, ‘‘पटना से’’, और ‘‘कोयल बिन’’ शामिल थे।

इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी गाना गया था। इनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर- टू’ के ‘तार बिजली’, ‘हम आपके हैं कौन’ के ‘बाबुल’ जैसे गाने शामिल हैं। शारदा सिन्हा के छठ पूजा के लिए गाए गीत भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। उनका निधन चार दिन के छठ महापर्व के पहले दिन हुआ। छठ घाटों पर उनके गाये गीत जरूर बजाए जाते हैं। शरदा सिन्हा ट्रेंड शास्त्रीय गायिका थीं, जिन्होंने अपने कई गीतों में लोक संगीत का मिश्रण किया।

उन्हें अक्सर ‘मिथिला की बेगम अख्तर’ कहा जाता था। वे हर साल छठ पर्व पर नया गीत जारी करती थीं। उन्होंने इस साल स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद छठ पर्व के लिए गीत जारी किया था। सुपौल में जन्मीं सिन्हा छठ पूजा और विवाह जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीतों की वजह से अपने गृह राज्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बेहद लोकप्रिय थीं।