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वांगचुक की गिरफ्तारी को अदालत में चुनौती दी जा सकती है : प्रशांत भूषण

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को अदालत में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन कार्यकर्ता के परिवार को अभी तक आदेश की प्रति नहीं मिली है।

राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव के साथ यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भूषण ने कहा कि वांगचुक की गिरफ्तारी से लद्दाख के लोगों की भावनाएं और आहत हुई हैं, जो स्पष्ट है क्योंकि ‘लेह एपेक्स बॉडी’ और ‘कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस’ दोनों ने उनकी रिहाई तक केंद्र के साथ बातचीत को खारिज कर दिया है।

यादव ने वांगचुक को 'लद्दाख का गांधी' बताया और उनकी गिरफ़्तारी के लिए सरकार की आलोचना की।

भूषण ने कहा, 'सोनम वांगचुक की गिरफ़्तारी से लद्दाख के लोगों की भावनाएं और भी ज़्यादा आहत हो रही हैं। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस, दोनों ने कहा है कि जब तक वांगचुक रिहा नहीं हो जाते, वे बातचीत में हिस्सा नहीं लेंगे...उन्हें जेल में रखना किसी के लिए भी अच्छा नहीं है।'

वांगचुक के खिलाफ पाकिस्तान संबंध के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए उच्चतम न्यायालय के वकील ने कहा, 'वह वहां एक सम्मेलन में भाग लेने गए थे; उन्होंने जो कुछ भी कहा वह सब रिकॉर्ड में है। उन्होंने मोदी सरकार की भी सराहना की।'

उन्होंने कहा, 'सरकार का उन्हें हिरासत में लेने का कदम किसी भी तरह से वैध नहीं है। यह दुर्भावनापूर्ण और अनुचित है और इससे किसी भी तरह से कोई मदद नहीं मिलेगी।'

भूषण ने कहा कि एनएसए के तहत हिरासत को अदालत में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन अधिकारियों ने अभी तक वांगचुक के परिवार को आरोपों की फाइल नहीं दी है।

उन्होंने कहा, 'उन्हें पांच दिनों के भीतर आदेश की प्रति देनी थी...आज पांच दिन बीत चुके हैं और उन्होंने अभी तक आदेश की एक प्रति नहीं दी है।'

वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने कहा है कि गिरफ्तारी के बाद से न तो उनसे कोई संपर्क हो पाया है और न ही उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की प्रति मिली है।

यादव ने संवाददाता सम्मेलन से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि देश भर से कई नागरिक संस्थाएं और जनांदोलन वांगचुक के समर्थन में खड़े हैं और यदि जरूरत पड़ी तो वे एकजुटता व्यक्त करने के लिए लद्दाख भी जाएंगे।

यादव ने कहा, 'यह सरकार वही कर रही है, जो अंग्रेजों ने भारत में किया था। इससे देश कमजोर होगा। यह सरकार राष्ट्रवाद की बात करती है, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में देश को कमजोर बना दिया है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा कमजोर हुई है।'

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप