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रिलायंस इन्फ्रा के खिलाफ फेमा जांच के तहत ईडी ने तलाशी ली

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (आर इंफ्रा) के खिलाफ ‘फेमा’ जांच के तहत महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में तलाशी ली। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि मुंबई और इंदौर जिले के महू में कम से कम छह परिसरों पर छापेमारी की गई।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह आकस्मिक कार्रवाई विदेश में कुछ अवैध धन प्रेषण के आरोपों पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ चल रही विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) जांच का हिस्सा है।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि ईडी की यह कार्रवाई ‘15 साल पुराने’ एक मामले से संबंधित है।

उसने बयान में कहा, ‘‘2010 में, कंपनी ने जेआर टोल रोड (जयपुर-रिंगस राजमार्ग) के निर्माण के लिए प्रकाश एस्फाल्टिंग्स एंड टोल हाईवेज को एक ‘ईपीसी’ ठेका दिया था।’’

उसने कहा, ‘‘यह एक घरेलू ठेका था जिसमें कोई विदेशी मुद्रा शामिल नहीं थी।’’

रिलायंस इंफ्रा ने कहा कि काम पूरा हो गया था और कंपनी का उक्त ठेकेदार के साथ कोई संबंध या रिश्ता नहीं है तथा टोल रोड पिछले चार साल से एनएचएआई के पास है।

ईडी पहले से ही धनशोधन रोकथाम अधिनियम के आपराधिक प्रावधानों के तहत रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अनिल अंबानी के समूह की कई कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं और 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक ऋण की ‘हेराफेरी’ की जांच कर रही है।

पीएमएलए के तहत एजेंसी की यह कार्रवाई ‘सेबी’ की एक रिपोर्ट के बाद हुई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आर इंफ्रा ने सीएलई नामक एक कंपनी के माध्यम से रिलायंस समूह की कंपनियों में अंतर-कॉर्पोरेट जमा (आईसीडी) के रूप में धन दूसरे कामों में लगाया।

यह आरोप लगाया गया था कि आर इंफ्रा ने शेयरधारकों और ऑडिट पैनल के अनुमोदन से बचने के लिए सीएलई को अपने ‘संबंधित पक्ष’ के रूप में प्रकट नहीं किया।

रिलायंस समूह ने पहले किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया था और एक बयान में कहा था कि 10,000 करोड़ रुपये की कथित राशि एक अज्ञात पक्ष को हस्तांतरित करने का आरोप 10 साल पुराना मामला है। कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में कहा था कि उसका जोखिम केवल लगभग 6,500 करोड़ रुपये था।

कंपनी ने कहा कि नवीनतम फेमा कार्रवाई का ‘‘कंपनी के व्यावसायिक संचालन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी भी अन्य हितधारक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।’’

भाषा राजकुमार अविनाश

अविनाश