चेन्नई, 30 सितंबर (भाषा) करूर भगदड़ के संबंध में तमिलनाडु सरकार की प्रेस वार्ता पर सवाल उठाते हुए, अन्नाद्रमुक महासचिव के पलानीस्वामी ने मंगलवार को द्रमुक नीत सरकार पर भगदड़ में लोगों की रक्षा करने के अपने कर्तव्य में विफल रहने, इस तरह की विफलता को छिपाने और दूसरों पर दोष मढ़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
विपक्ष के नेता पलानीस्वामी ने कहा कि करूर में मची भगदड़ के बाद स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार हिल गई है। उन्होंने सवाल किया कि जब न्यायमूर्ति अरुणा जगदीशन के नेतृत्व में जांच आयोग ने काम शुरू कर दिया है, तो सरकारी प्रवक्ता को घटना के बारे में मीडिया को जानकारी देने की क्या जरूरत थी।
उन्होंने कहा कि जब निर्वाचित प्रतिनिधि और मंत्री मौजूद हैं, तो सरकारी अधिकारी को मीडिया को जानकारी देने की क्या जरूरत है।
पलानीस्वामी ने 27 सितंबर को मची भगदड़ के दौरान लोगों की सुरक्षा करने के अपने कर्तव्य में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार पर 'विफल' रहने और अपनी विफलता को छिपाने के प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार का उद्देश्य इस घटना का दोष दूसरों पर डालना प्रतीत होता है।
राज्य सरकार ने (टीवीके प्रमुख विजय की रैली में भगदड़ पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया और मीडिया पर किए जा रहे कई दावों के मद्देनजर) 30 सितंबर को वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाकर भगदड़ और संबंधित घटनाओं पर कुछ बुनियादी तथ्यों की व्याख्या की और ऐसे साक्ष्यों पर अपने विचार भी स्पष्ट किए।
आधिकारिक प्रवक्ता, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पी. अमुथा के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम ने फोर्ट सेंट जॉर्ज स्थित तमिलनाडु सचिवालय में संवाददाताओं को जानकारी दी और वीडियो फुटेज भी दिखाए गए।
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) महासचिव ने पूछा कि क्या भगदड़ पर तमिलनाडु सरकार के विचार का जांच आयोग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि 'स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार में कोई नैतिकता नहीं है' और उसका उद्देश्य भगदड़ की 'जिम्मेदारी से बचना' है, जिसमें 41 निर्दोष लोग मारे गए थे।
भाषा आशीष दिलीप
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