नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत के एक न्यायाधीश के प्रति नाराजगी जताई है, जिन्होंने एक आपराधिक मामले में इस आधार पर अधिकार क्षेत्र का हवाला देकर सुनवाई से इनकार किया कि शीर्ष अदालत द्वारा मामले के निपटारे के लिए निर्धारित समय बीत चुका था।
न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने कहा कि 18 जनवरी, 2024 को शीर्ष अदालत ने एक आपराधिक अपील का निपटारा करते हुए पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के अलीपुर में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट को चार सप्ताह के भीतर मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया था।
हालांकि, सुनवाई अदालत के न्यायाधीश ने 19 मार्च, 2024 को पारित आदेश में निर्धारित अवधि के भीतर मामले का निपटारा करने में असमर्थता जताते हुए इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताया।
पीठ ने न्यायाधीश के फैसले पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और कहा, 'हमें यह देखकर दुख हुआ है कि न्यायाधीश ने किस तरह से आदेश पारित किया। यदि किसी कारण से न्यायाधीश इस अदालत द्वारा निर्धारित समय अवधि के भीतर मामले का निपटारा करने में सक्षम नहीं थे, तो उनके पास समय बढ़ाने का आग्रह करने का मौका था, लेकिन वह यह नहीं कह सकते कि उनका अधिकार क्षेत्र खत्म हो गया है क्योंकि दी गई समय सीमा बीत चुकी है।'
शीर्ष अदालत ने संबंधित जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वह सुनवाई अदालत के न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगें और एक महीने के भीतर इस बारे में रिपोर्ट दें।
पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा, 'उन्हें (न्यायिक मजिस्ट्रेट को) यह बताना होगा कि क्यों और किन परिस्थितियों में उन्होंने रिपोर्ट दी है कि इस मामले पर उनका अधिकार क्षेत्र खत्म हो गया और वह इस मामले में आगे कोई कार्यवाही नहीं करेंगे।'
शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्री को अपने आदेश की प्रति संबंधित अधिकारियों को भेजने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर के लिए निर्धारित की।
भाषा आशीष नरेश
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